ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) के एक फैसले से भारतीय छात्रों को बड़ा झटका लगने वाला है. पीएम सुनक उस वीजा पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं, जो विदेशी छात्रों को देश में पढ़ाई के बाद दो साल रहने और काम करने की अनुमति देता है. हालांकि, उनकी कैबिनेट के मंत्री इसके विरोध में हैं. वह भी योजना का बंद नहीं करना चाहते हैं ग्रेजुएट रूट वीजा के जरिए स्नातकों को उनके डिग्री कोर्स के बाद दो साल तक रहने और काम करने की अनुमति मिलती है.
एक न्यूज पेपर द ऑब्जर्वर की खबर के अनुसार, ऋषि सुनक को ग्रेजुएट रूट योजना को खत्म करने की योजना पर कैबिनेट के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इस वीजा योजना की शुरुआत 2021 में हुई थी. अगर इस स्कीम पर प्रतिबंध लगता है तो इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय छात्रों पर पड़ेगा. पिछले हफ्ते सरकार की माइग्रेशन एडवाइजरी कमेटी ने इस पर रिपोर्ट तैयार की थी.
सूत्रों के हवाले से अखबार ने दावा किया कि प्रधानमंत्री सुनक अब खुद को टोरी नेतृत्व और कंजर्वेटिव नरमपंथियों पर नजर रखने वाले दक्षिणपंथियों की मांगों के बीच फंसा हुआ पा रहे हैं. शिक्षा मंत्री गिलियन कीगन, चांसलर जेरेमी हंट और विदेश मंत्री डेविड कैमरन कैबिनेट में शामिल उन लोगों में शामिल हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे इस मुद्दे पर विरोध कर रहे हैं.
ब्रिटिश उद्योग परिसंघ (सीबीआई) के मुख्य नीति एवं अभियान अधिकारी जॉन फोस्टर ने कहा, 'विश्वविद्यालय में अध्ययन करना हमारी सबसे बड़ी सफलताओं में से एक है. अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है.
ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों के प्रमुख प्रतिनिधि निकाय, यूनिवर्सिटीज यूके (UUK) के मुख्य कार्यकारी विविएन स्टर्न ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि सरकार हमारी सलाह पर गौर करेगी और स्पष्ट आश्वासन देगी कि ग्रेजुएट वीजा जारी रहेगा.'
नेशनल इंडियन स्टूडेंट्स एंड एलुमनी यूनियन (NISAU) यूके से जुड़े विग्नेश कार्तिक ने कहा, 'हम सरकार से प्रवास सलाहकार समिति (MAC) के निष्कर्षों को स्वीकार करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं कि ब्रिटेन की आव्रजन प्रणाली में ग्रेजुएट रूट वीजा योजना जारी रहे.'
(इनपुट पीटीआई-भाषा से)
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