ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रोजेनिका की वैक्सीन को 'इमरजेंसी इस्तेमाल' इस्तेमाल के लिए किसी भी वक्त मंजूरी मिल सकती है. मंजूरी मिलने के बाद चार जनवरी से ब्रिटेन में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. भारत में यही वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट बड़े पैमाने पर बना रहा है.
भारत में भी मंजूरी जल्द
ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रोजेनिका की वैक्सीन को भारत में भी जल्द मंजूरी मिल सकती है. भारत अगर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनका की वैक्सीन को इजाजत देता है तो ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा. ब्रिटेन में अभी भी इस वैक्सीन के डाटा का परीक्षण चल रहा है. सीरम इंस्टीट्यूट के अलावा भारत सरकार फाइजर और भारत बायोटेक के आवेदन पर भी विचार कर रही है. फाइजर की वैक्सीन के अमेरिका और ब्रिटेन समेत कुछ और देशों में मंजूरी मिल चुकी है. लेकिन फाइजर ने भारत में अभी तक ट्रायल की शुरुआत भी नहीं की है.
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनका की वैक्सीन को भारत जैसे विकासशील देश के लिए बेहद मुफीद माना जा रहा है. इसके साथ ही भारत के गर्म वातावरण के हिसाब से भी यह वैक्सीन सस्ती है. इस वैक्सीन को स्टोर करने के लिए भी विशेष इंतजाम नहीं करने पड़ते हैं. इसे फ्रिज के सामान्य तापमान पर भी रखा जा सकता है.
दो खुराक से ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन ने अच्छा इम्यून रिस्पॉन्स पैदा किया
ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर कोविड-19 महामारी के खिलाफ वैक्सीन का निर्माण कर रही है. अंतिम चरण के मानव परीक्षण के अंतरिम नतीजे में वैक्सीन को अधिक प्रभावी पाया गया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि दो खुराक की तुलना में एक पूरी खुराक के बाद आधा खुराक दिया गया, तो वैक्सीन ज्यादा असरदार साबित हुई. हालांकि नतीजों की पुष्टि करने के लिए अभी और रिसर्च करने की जरूरत है.
कंपनी ने पहले और दूसरे चरण के मानव परीक्षण के नतीजे जारी कर दिए गए हैं. उसमें आधा खुराक या पूरा खुराक का हवाला नहीं दिया गया है. ऑक्सफोर्ड ने इसे 'अनियोजित' मगर नियामक संस्थाओं की तरफ से स्वीकृत बताया है. यूनिवर्सिटी ने कहा कि वैक्सीन की बूस्टर खुराक दोनों हैं और उसने एक पूरी खुराक के मुकाबले ज्यादा मजबूत एंटी बॉडी रिस्पॉन्स पैदा किया.
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