अमेरिका और ब्रिटेन ने संयुक्त बयान में हैकर्स पर गंभीर आरोप लगाते हुए चेतावनी जारी की है. उनका कहना है कि सरकार समर्थित हैकर्स स्वास्थ्य और शोध संस्थानों पर हमले कर रहे हैं. उनकी मंशा कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों की अहम जानकारी चुराना है.
विदेशी हैकरों पर गंभीर आरोप
ब्रिटेन की नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर (NCSC) और अमेरिका की साइबर सिक्योरिटी और इंफ्रास्टक्चर सिक्योरिटी एजेंसी (CISA) ने मंगलवार को सनसनीखेज आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि हैकर्स फार्मा कंपनियों और शोध प्रतिष्ठानों के साथ स्थानीय सरकारों को निशाना बना रहे हैं. CISA और NCSC ने बताया कि सरकार समर्थित हैकिंग समूह बार बार संस्थाओं को निशाना बना रहा है. जिससे बड़े पैमाने पर निजी जानकारी और बौद्धिक संपदा को इकट्ठा किया जा सके. उनका इरादा राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों पर बुद्धिमता हासिल करने की कोशिश है. इसके अलावा ये भी हो सकता है कि कोविड-19 को लेकर किए जा रहे शोध का संवेदनशील डाटा चुराया जा सके.
महामारी की आड़ में डाटा चुराने का शक
हालांकि उन्होंने साइबर अटैक के लिए जिम्मेदार देशों का नाम नहीं बताया. मगर इतना जरूर कहा कि चेतावनी घुसपैठ की कोशिश के जवाब में जारी की गई है. अमेरिका और ब्रिटेन के दो अधिकारियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर चेतावनी से संबंधित जानकारी दी. साथ ही उन्होंने इसके पीछे संदिग्ध चीनी, ईरानी और कुछ रूस से जुड़ी गतिविधि के प्रति शक जताया. जबकि बीजिंग, तेहरान और मास्को ने कई बार साइबर ऑपरेशन को अंजाम देने की घटना से इंकार किया है. उन्होंने खुद अपने आपको साइबर हैकरों के हमले से पीड़ित बताया.
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