Ukrain Crisis Causing Global Food Shortage: यूक्रेन-रूस जो 24 फरवरी से शुरू हुआ अब बढ़ता जा रहा है. इसका ये नतीजा है कि दुनिया भर के विकासशील देशों में खाद्य संकट पैदा हो गया है. यूक्रेन से खाद्य निर्यात बंद होने से पहले से मौजूद हालात और बदतर हो गए हैं. कोविड महामारी के बाद भोजन की मांग, मौसम की मुश्किल स्थिति, आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं और निर्यात प्रतिबंधों ने खाद्य बाजार को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है. इस आक्रमण ने दुनियाभर में खाद्य कीमतों में व्यापक मुद्रास्फीति को जोड़ा है.


इससे खाद्य और कृषि संगठन का खाद्य मूल्य सूचकांक अब तक के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है- यह सूचकांक 1990 में शुरू होने के बाद से सबसे अधिक है. संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (The UN World Food Programme) के कार्यकारी निदेशक, डेविड बेस्ली के मुताबिक  "संघर्ष, जलवायु संकट, कोविड -19 और भोजन और ईंधन की बढ़ती लागत ने एक तूफान पैदा कर दिया है - और अब  सबसे बढ़कर हमें यूक्रेन में तबाही मचाने वाला युद्ध मिल गया है. यह तबाही के ऊपर एक और तबाही है.”


कौन से देश प्रभावित हो रहे हैं और कैसे?
युद्ध के प्रभावों का सामना करने वाले देशों में से एक सोमालिया (Somalia) है. यह देश रूस और यूक्रेन से रुके हुए निर्यात की वजह से गेहूं की भयंकर कमी का सामना कर रहा है, क्योंकि 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद से काले  सागर (Black Sea) के जरिए होने वाले निर्यात मार्ग का बंद कर दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, पूर्वी अफ्रीकी देश में लगभग 13 मिलियन लोग लगातार सूखे के कारण गंभीर भूख का सामना कर रहे हैं. दूसरी ओर, यूक्रेन को देश से 22 मिलियन अनाज निर्यात करने की जरूरत है, क्योंकि उसे अगली फसल से पैदा हुए अनाज को स्टोर करने के लिए जगह चाहिए. हालांकि, रूस के काला सागर बंदरगाहों की नाकाबंदी की वजह से मकई, जौ, रेपसीड तेल (Rapeseed Oil) और गेहूं के निर्यात रुक गया है.


अन्य अफ्रीकी देश जिनका इस मौजूदा संघर्ष में बहुत कम योगदान है हालांकि वो भी इस युद्ध के प्रभावों से अछूते नहीं है. मिस्र (Egypt) में रोटी एक मुख्य खाद्य है. रोटी के बगैर भोजन एक मूल और पूरा भोजन नहीं कहा जा सकता है. यह देश अपनी दैनिक गेहूं और कैलोरी आवश्यकताओं के आधे से अधिक को पूरा करने के लिए आयातित गेहूं पर निर्भर है. मिश्र ने  2020-2021 में यूक्रेन और रूस से 85 फीसदी गेहूं आयात किया. साल 2022 में यूक्रेन के वैश्विक गेहूं निर्यात में लगभग 12 फीसदी भागीदारी की उम्मीद थी, नतीजन ट्यूनीशिया (Tunisia), सोमालिया, मिस्र और अल्जीरिया (Algeria) जैसे देशों को अनाज निर्यात करना संभव नहीं हो पाया.


ट्यूनीशिया भी वित्तीय संकट ( Financial Crisis ) से तबाह हो रहा है. यह देश 6 फीसदी से अधिक की मुद्रास्फीति दर (Inflation Rate) से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है. इसकी अधिकांश आबादी अपनी दैनिक जरूरतों को सब्सिडी वाली सूजी और आटे से पूरा कर रही है, हालांकि, कीमतों में वैश्विक मुद्रास्फीति की वजह से ये उत्पाद केवल काले बाजार में है, लेकिन वह भी महंगी दरों पर उपलब्ध हैं. अल्जीरिया ने अपने स्टॉक में कमी को रोकने के लिए सूजी, पास्ता और गेहूं उत्पादों के निर्यात को पूरी तरह से रोक दिया है. हालांकि खुद के तेल निर्यात उद्योग से देश को कुछ राहत मिली है. रूस का यूक्रेन पर आक्रमण शुरू होने के बाद से वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमत लगभग 50 फीसदी बढ़ गई है.  फरवरी के अंत से लगभग 20 देशों ने खाद्य प्रतिबंध और भोजन पर कर लगाया है.
रूस कैसे प्रतिक्रिया दे रहा है?
 
रूस कैसे दे रहा जवाब


रूस इस दौर को भी अपने फायदे की तरह इस्तेमाल कर रहा है. रूस रणनीतिक रूप से वैश्विक खाद्य कमी का इस्तेमाल कर रहा है. इस वजह से अब पश्चिम पर उस पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का दबाव बढ़ गया है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin ) ने वैश्विक खाद्य संकट (Global Food Crisis) के लिए पश्चिम देशों को जिम्मेदार ठहराया. इतालवी (Italian) प्रधा मंत्री मारियो ड्रैगी (Mario Draghi) के साथ बातचीत में पुतिन ने कहा, "रूस इस शर्त पर अनाज और उर्वरक के निर्यात के जरिए खाद्य संकट पर काबू पाने में अहम योगदान देने के लिए तैयार है, यदि पश्चिमी देशों के रूस पर राजनीतिक रूप से प्रेरित लगाए गए प्रतिबंध हटा दिए जाते हैं."


अमेरिका का रूस पर आरोप


अमेरिका ( US) का आरोप है कि रूस मध्य पूर्व (Middle East) और अफ्रीका (Africa) से गेहूं की मांग में अपेक्षित बढ़ोतरी से फायदा उठाना चाहता है. प्रतिबंधों के बावजूद, रूस जुलाई 2022 से जून 2023 तक अनुमानित 40 मिलियन टन निर्यात के साथ शीर्ष गेहूं निर्यातक बनने की दौड़ में है. US ने रूस पर यूक्रेनी अनाज चोरी करने का भी आरोप लगाया गया है, न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने चोरी किए गए यूक्रेनी अनाज को ले जाने वाले तीन जहाजों के 14 देशों को सतर्क किया. उधर रूस इन आरोपों का खंडन कर रहा है, वह निर्यात के लिए काला सागर पर स्थित बंदरगाहों को न खोलने के लिए यूक्रेन को दोषी ठहरा रहा है.


अब क्या होगा


संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (UN Secretary-General Antonio Guterres) के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष से बड़े पैमाने पर खाद्य, ऊर्जा और आर्थिक संकट पैदा हो गए हैं. इसका सबसे बुरा प्रभाव गरीब देशों पर पड़ रहा है. खाद्य संकट पर 2022 की वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है कि 40 देशों में लगभग 180 मिलियन लोग निश्चित तौर पर खाद्य असुरक्षा का सामना करेंगे, जिससे कुपोषण, सामूहिक भूख और अकाल भी हो सकता है. दुनिया के लोग अभी भी कोविड (Covid) के बाद पैदा हुई बुरी स्थितियों से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, इन देशों की सरकारों के पास बहुत कम नकदी है, और यूक्रेन में युद्ध अभी भी जारी है. ऐसे में वैश्विक खाद्य संकट धीमा होने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं.


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