Russia-Ukraine War: रूस के सैन्य बलों ने यूक्रेन में आपूर्ति मार्गों और आयुध परिवहन को बाधित करने के प्रयास में मंगलवार को ओडेसा के महत्वपूर्ण तट पर धावा बोल दिया. यूक्रेन के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें कुछ सप्ताह पहले उत्तर-पूर्व में गोलाबारी में तबाह शहर में 44 लोगों के शव मिले हैं. मार्च में गोलाबारी का निशाना बने खारकीव से करीब 120 किलोमीटर दूर स्थित इजियम में पांच मंजिला इमारत से ये शव निकाले गए.


क्षेत्रीय प्रशासन के प्रमुख ओलेह सिनेहुबोव ने सोशल मीडिया पर मृतकों की संख्या के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘‘नागरिकों के खिलाफ रूसी आक्रमणकारियों के बर्बर युद्ध अपराध का ये एक और सबूत है.’’ हालांकि, सिनेहुबोव ने यह नहीं बताया कि इमारत कहां पर स्थित थी. इजियम डोनबास के पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग पर स्थित है, जो अब यूक्रेन में रूस के युद्ध का केंद्र है.


यूक्रेन की सेना ने कहा कि रूसी सेना ने एक दिन पहले ओडेसा के महत्वपूर्ण काला सागर बंदरगाह पर सात मिसाइल दागकर एक शॉपिंग सेंटर और एक गोदाम को निशाना बनाया. सेना ने कहा कि इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और पांच घायल हुए. दक्षिणी तट पर रूसी सैनिकों ने उस इस्पात संयंत्र पर हमला जारी रखा जहां यूक्रेन के लड़ाके रूस को एक और महत्वपूर्ण बंदरगाह का नियंत्रण नहीं लेने दे रहे हैं. अजोव रेजीमेंट ने कहा कि पिछले 24 घंटे में मारियुपोल में इस्पात संयंत्र के एक परिसर को 34 बार निशाना बनाया गया.


शहर के मेयर के सलाहकार पेट्रो आंद्रयुचेंको के मुताबिक, संयंत्र में अब भी कम से कम 100 आम नागरिक फंसे हैं. यूक्रेन का दावा है कि सोवियत काल के कुछ हथियारों का इस्तेमाल किया गया और उनका निशाना सटीक नहीं था. लेकिन, यूक्रेन के संस्थान ‘सेंटर फॉर डिफेंस स्ट्रेटेजीस’ ने कहा कि मॉस्को ने ओडेसा के खिलाफ कुछ सटीक निशाना लगाने वाले हथियारों का भी इस्तेमाल किया.


यूक्रेन, ब्रिटेन और अमेरिका के अधिकारियों ने चेताया है कि रूस अपने सटीक निशाने वाले हथियारों का भंडार बढ़ा रहा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेना जंग के शुरुआती दिनों में कीव पर कब्जा करने में विफल रही और पुतिन ने कहा कि उनकी सेना देश के पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र डोनबास पर ध्यान केंद्रित कर रही है. एक सैन्य जनरल ने यह भी कहा कि रूस का मकसद यूक्रेन को पूरे काला सागर तटीय क्षेत्र से काटना भी है. ओडेसा अनाज की खेप के परिवहन के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार भी है और रूस द्वारा इसकी नाकाबंदी वैश्विक खाद्य आपूर्ति के लिए खतरा है.



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