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रूस के खिलाफ जर्मनी का खतरनाक लेपर्ड-2 टैंक हासिल करना चाहता है यूक्रेन, जानें क्या है इस टैंक में खास?

लेपर्ड टैंक को सबसे पहले साल 1970 में अमेरिका में बने M48 पैटन को हराने के लिए बनाया गया था. हालांकि ये कुछ ही सालों में यूरोप के साथ दुनिया के सभी देशों में फेमस हो गया.

साल 2022 के फरवरी महीने में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध साल 2023 में भी जारी है. 11 महीने से ज्यादा समय से चल रहे इस युद्ध में अब यूक्रेन के पास एक ऐसा हथियार आ सकता है जिसकी मदद से वह रूस को कड़ी टक्कर देने में कामयाब हो सकता है. दरअसल जर्मनी यूक्रेन को अपना लेपर्ड-2 टैंक देने जा रहा है. यह टैंक इतनी ताकतवर है कि इसकी मदद से यूक्रेन और रूस की जंग और भीषण हो सकती है.

जर्मनी की मीडिया के अनुसार वहां के चांसलर ओलाफ स्‍चोल्‍ज ने यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक देने की बात पर सहमति जताई है. स्काई न्यूज के अनुसार जर्मन सरकार ने यूक्रेन में कई लेपर्ड टैंक भेजने का निर्णय लिया है. इसके अलावा जर्मनी की विदेश मंत्री एना बेरबोक ने कहा, 'अगर पोलैंड या कोई भी यूरोपीय देश यूक्रेन को लेपर्ड-2 टैंक देना चाहता है तो दे सकता है. हम उसके रास्ते में बनेंगे आएंगे'. 


रूस के खिलाफ जर्मनी का खतरनाक लेपर्ड-2 टैंक हासिल करना चाहता है यूक्रेन, जानें क्या है इस टैंक में खास?

क्यों यूक्रेन को टैंक की पड़ी जरूरत 

रूस-यूक्रेन युद्ध के 11 महीने से ज्यादा हो चुके हैं. अब तक इस युद्ध में न सिर्फ लाखों लोगों की जान जा चुकी है. बल्कि यूक्रेन के कई बड़े शहर भी तबाह हो चुके हैं. ऐसे में रूस को हराने के लिए यूक्रेन काफी समय से पश्चिमी देशों से जर्मनी में बना ये टैंक मांग कर रहा था.

यूक्रेन ने मदद के तौर पर पश्चिमी देशों से 300 से ज्यादा टैंक, 500 इन्फैंट्री फाइटिंग व्हीकल और 700 से ज्यादा नए आर्टिलरी सिस्टम की मांग रखी है. यूक्रेन के विश्वास है कि अगर हथियार देने में पश्चिम देश उनकी मदद करते हैं तो वह अपनी जमीन को रूसी सेना के चंगुल से छुड़ा लेंगे.

क्यों है इस टैंक की मांग

लेपर्ड टैंक अफगानिस्तान और सीरिया की लड़ाई में अपना कमाल दिखा चुकी है. इसे अपने देश में लाने के लिए यूक्रेन भी इसलिए भी बेताब है क्योंकि इस टैंक के दो तिहाई भाग का निर्माण यूरोप में ही हुआ है. इससे टैंकों की डिलीवरी आसान होगी और इसका रिपेयर भी आसानी से किया जा सकेगा. 


रूस के खिलाफ जर्मनी का खतरनाक लेपर्ड-2 टैंक हासिल करना चाहता है यूक्रेन, जानें क्या है इस टैंक में खास?

क्या है लेपर्ड-2 टैंक?

लेपर्ड टैंक को सबसे पहले साल 1970 में अमेरिका में बने M48 पैटन को हराने के लिए बनाया गया था. हालांकि ये टैंक इतना प्रभावी था कि कुछ ही सालों में यह यूरोप के साथ दुनिया के सभी देशों में फेमस हो गया. इस टैंक को बहुत सारी खूबियों के चलते ऑलराउंडर कहा जाता है.

  • लेपर्ड-2 दुनिया के बेहतरीन बैटल टैंकों में से एक है. यह टैंक फायर पावर, सुरक्षा और रफ्तार के मामले में भी बेहतरीन है. 
  • इस टैंक का वजन 55 टन है और इसमें चार जवान बैठ सकते हैं.
  • लेपर्ड-2 टैंक का रेंज लगभग 500 किलोमीटर यानी 310 मील की रेंज है, यह लगभग 68 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है. 
  • लेपर्ड-2 टैंक का सबसे पहला वेरिएंट साल 1979 में सर्विस में आया था. पहले टैंक की लंबाई 11 मीटर थी. अब तक इसके चार वैरिएंट आ चुके हैं. 
  • इस टैंक में 120 मिमी स्मूथ बोर गन लगी होती है. इसके अलावा इस टैंक में डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम भी है. 
  • टैंक की एक खासियत ये भी है कि इसके इस्तेमाल के दौरान अगर दुश्मन की तरफ से हमला किया जाता है, तब भी अंदर बैठे सैनिक सुरक्षित रहते हैं.


रूस के खिलाफ जर्मनी का खतरनाक लेपर्ड-2 टैंक हासिल करना चाहता है यूक्रेन, जानें क्या है इस टैंक में खास?

रूस ने दी चेतावनी 

हालांकि यूक्रेन को लेपर्ड-2 देने के फैसले से रूस नाराज है और उसने यूक्रेन को धमकी दी है कि अगर इस देश में लेपर्ड-2 टैंक आता है तो इसकी कीमत यूक्रेन के लोगों को भुगतनी पड़ेगी.

सीएनएन की रिपोर्ट की मानें तो, रूस के राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन के प्रवक्ता दीमित्री पेस्कोव ने अपने एक बयान में यूक्रेन को धमकाते हुए कहा, 'अगर पश्चिम देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर यूक्रेन को हथियार भेजते हैं तो आगे जो होगा उसकी जिम्मेदारी उनकी होगी.

रूसी संसद ड्यूमा के स्पीकर वायेस्चलाव वोलोदिन ने भी अपने एक बयान में कहा, ''अगर यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई की जाती है. तो वह यूक्रेन के शहरों में रह रहे नागरिकों पर हमला कर उन क्षेत्र को क़ब्जे में ले लेंगे."

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