100 साल के बाद यूक्रेन क्यों मना रहा है 25 दिसंबर को क्रिसमस, क्या त्याग देगा अपनी संस्कृति?
Christmas Day 2023: यूक्रेन अपनी दशकों पुरानी परंपरा को त्याग रहा है. अब वह अपनी परंपरा को रूस की परंपरा से अलग रखना चाहता है.
Russia Ukraine War: लगभग दो साल तक जंग में जूझने के बाद यूक्रेन के एक फैसले ने दुनिया को चौंका दिया है. यूक्रेन ने एलान किया है कि वह अब 7 जनवरी को क्रिसमस नहीं मनाएगा, बल्कि वह भी पूरी दुनिया की तरह 25 दिसंबर को क्रिसमस त्योहार मनाएगा. यूक्रेन के इस फैसले ने 105 साल पुरानी परंपरा पर विराम लगा दिया है. दरअसल यूक्रेन और रूस में जूलियन कैलेंडर को माना जाता है और इस कैलेंडर के मुताबिक क्रिसमस 7 जनवरी को मनाया जाता है. 1917 में हुई रूस की क्रांति से पहले तक यूक्रेन 25 दिसंबर को ही क्रिसमस का त्योहार मनाता था. दुनिया में ज्यादातर देश ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) को मानते हैं.
Many Ukrainian Orthodox Christians are celebrating #Christmas today on 25 December for the first time this year. #Ukraine's traditionally used the Julian calendar, also used by Russia, where Christmas falls on 7 January. Now it's using the Gregorian calendar, which it already… pic.twitter.com/PgIIQDYZfp
— Glasnost Gone (@GlasnostGone) December 25, 2023
क्या है जूलियन कैलेंडर?
जूलियन कैलेंडर की शुरूआत 46 ईसा पूर्व में हुई थी. इस कैलेंडर में अलग अलग समय पर सुधार होते रहे हैं. इस कैलेंडर में खामी यह थी कि इसका मानना था कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन लगते हैं, जबकि इस कैलेंडर में 11 मिनट का अंतर था, इस वजह से कई सालों के बाद ये कैलेंडर बाकी कैलेंडर पिछड़ता चला गया और तारीखों में अंतर आ गया.
For the first time Ukraine is celebrating Christmas on December 25, shifting further away from Russia, as this magical Christmas Express departs from Kyiv Central pic.twitter.com/1sqLHiXeLC
— Maria Avdeeva (@maria_avdv) December 23, 2023
यूक्रेन पड़ा अलग-थलग?
यूक्रेन ने 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने के फैसला इसलिए किया ताकि पश्चिमी देशों को संदेश जाए कि वह उनकी परंपरा को अपना चुका है. दरअसल इजरायल हमास युद्ध के बाद यूक्रेन को विदेशों से पहले की तरह मदद नहीं मिल रही थी. पिछले कई महीनों से वह अमेरिका की ओर फंड के लिए ताक रहा है, लेकिन उसे अब तक फंड नहीं मिला है. इसके अलावा वह रूस को भी संदेश देना चाहता था कि वह एक जैसे नहीं है और न एक परंपरा को मानते हैं.