Russia-Ukraine War: यूक्रेन ने रूस की हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोकने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है, जिसमें अमेरिका निर्मित पैट्रियट मिसाइलें और फ्रांस और इटली से मिले SAMP-T सिस्टम की भूमिका अहम है. यूक्रेन का कहना है कि वह किंझाल और जिरकोन जैसी मिसाइलों को लगभग 25% तक रोकने में सक्षम है. हालांकि, सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट करने के लिए उसे सटीक खुफिया जानकारी, तेजी से पहचान और लगभग सभी 32 पैट्रियट लॉन्चर्स का एक साथ इस्तेमाल करना पड़ता है.
हाइपरसोनिक मिसाइलों की तेज रफ्तार और जटिल दिशात्मक बदलाव की क्षमता उन्हें रोकने में बड़ी चुनौती पैदा करती है. इसके बावजूद, कभी-कभी ये मिसाइलें यूक्रेन के एरियल डिफेंस सिस्टम को पार कर जाती हैं, जिससे यूक्रेन की सेना को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
सिरदर्द बना पैट्रियट मिसाइल का खर्च!
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने हाल ही में एक वीडियो में संकेत दिए कि यूक्रेन ने अमेरिका से लंबी दूरी की टॉमहॉक मिसाइलों की मांग की है. टॉमहॉक मिसाइलों की रेंज 2,500 किलोमीटर (1,550 मील) तक होती है, जो यूक्रेन के पास मौजूदा किसी भी मिसाइल से कहीं अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है. ऐसी मिसाइलें हासिल करना रूस के लिए जंग में एक बड़ी चुनौती और एक तरह से इसे बढ़ावा देने के तौर पर देखा जाएगा.
लेकिन यूरोपीय देशों की मीडिया में इस बात का शोर है कि जेलेंस्की लगातार अपने सहयोगी देशों से रूसी मिसाइलों को गिराने की क्षमता रखने वाले मिसाइलों की मांग की है. कहा जा रहा है कि यूक्रेन के लिए पैट्रियट मिसाइलों का इस्तेमाल महंगा साबित हो रहा है.
अपने सहयोगियों पर जेलेंस्की को है शक?
जेलेंस्की पिछले महीने अमेरिका की यात्रा पर गए थे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडेन के सामने 'जीत की योजना' पेश की थी. इस योजना के जरिए जेलेंस्की ने रूस पर बातचीत का दबाव बनाने की कोशिश की. इस योजना के कुछ हिस्से गोपनीय रखे गए हैं.
जेलेंस्की ने कहा, "जब कई देशों ने इस योजना का समर्थन किया, तो अब मीडिया में इस तरह की खबरें आ रही हैं कि यूक्रेन को कई मिसाइलें चाहिए, जैसे कि टॉमहॉक. लेकिन यह अमेरिका और यूक्रेन के बीच की गोपनीय जानकारी थी. इन संदेशों को कैसे समझा जाए?"
उन्होंने आगे कहा, "इसका मतलब है कि साझेदारों के बीच कोई गोपनीयता नहीं है." जेलेंस्की के अनुसार, इस साल की शुरुआत में अमेरिकी कांग्रेस की ओर से स्वीकृत सैन्य सहायता का केवल 10% ही यूक्रेन तक पहुंचा है.
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