संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारी सहमति से एक प्रस्ताव पारित करके यूक्रेन में मानवीय संकट के लिए रूस को दोषी ठहराया है. प्रस्ताव में तुरंत संघर्ष विराम लागू करने और लाखों नागरिकों समेत घरों, स्कूलों और अस्पतालों की सुरक्षा करने की अपील की गई है.


गुरुवार को यह प्रस्ताव पांच के मुकाबले 140 मतों से पास हो गया. इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वाले पांच देशों में बेलारूस, सीरिया, उत्तर कोरिया और इरीट्रिया और रूस शामिल हैं. प्रस्ताव रूस की आक्रामकता के ‘गंभीर मानवीय परिणामों’ की निंदा करता है. प्रस्ताव मे कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पिछले कई दशकों में इतना बड़ा मानवीय संकट यूरोप में नहीं देखा.


इसमें रूस की गोलाबारी, हवाई हमले और दक्षिणी शहर मारियुपोल सहित घनी आबादी वाले शहरों की ‘घेराबंदी’ की निंदा की गई है. प्रस्ताव में मानवीय सहायता के लिए निर्बाध पहुंच की मांग की गई है. मतदान गत दो मार्च को लाए गए प्रस्ताव पर हुए मतदान की तरह था. वह प्रस्ताव भी पांच के मुकाबले 141 देशों के समर्थन से पास हो गया था और 35 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया था.


रूस ने खारिज किया प्रस्ताव


रूस ने इस प्रस्ताव को रूस विरोधी बताकर खारिज कर दिया है. रूस ने कहा कि प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देश मानवीय स्थिति को लेकर चिंतित नहीं हैं, बल्कि वह सहायता का भी राजनीतिकरण करना चाहते हैं.


इसके पहले एक रूसी प्रस्ताव पर मतदान के दौरान मास्को को हार का समाना करना पड़ा था. रूसी प्रस्ताव को स्वीकार किये जाने के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में से कम से कम नौ मत चाहिए थे और स्थायी सदस्यों में से किसी की तरफ से वीटो नहीं होना चाहिए.


चीन समेत 13 देश रहे अनुपस्थित


स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस शामिल हैं. लेकिन रूस को केवल एक मत चीन का मिला जबकि 13 अन्य सदस्य देश अनुपस्थित रहे. ब्रिटेन की संयुक्त राष्ट्र में राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने रूसी प्रस्ताव को ‘सनकी प्रयास’ बताया जो संकट का दोहन करने के लिए है.


लेकिन रूसी राजदूत वासिली नेबेंजिया ने कहा कि रूसी प्रस्ताव अन्य देशों के मानवीय प्रस्ताव की तरह राजनीतिक नहीं है. अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि रूस परिषद का इस्तेमाल करके अपनी क्रूरता पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहा है.


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