यूक्रेन और रूस के बीच 21वें दिन भी भीषण जंग जारी है. रूसी सैनिक यूक्रेन के अलग-अलग शहरों को लगातार निशाना बना रहे हैं. यूक्रेन पहले ही रूसी हमले की वजह से पस्त हो चुका है. इस बीच डॉक्टरों ने यूक्रेन के लोगों में कई तरह की बीमारियों से घिरने की आशंका को लेकर चिंता जताई है. अब, डॉक्टरों को न केवल COVID-19 के मामलों में, बल्कि पोलियो, हैजा और खसरा जैसी अन्य संक्रामक बीमारियों के भी बढ़ने का डर है. डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के इमरजेंसी प्रोग्राम के मैनेजर केट व्हाइट ने सीएनएन से बातचीत में कहा है कि यूक्रेन में पहले से ही उन बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण की दर काफी कम थी.
यूक्रेन में कोविड समेत कई और बीमारियों के फैलने का डर
डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के इमरजेंसी प्रोग्राम के मैनेजर केट व्हाइट ने आगे कहा कि वैक्सीन से रोकथाम वाली बीमारियों को लेकर यूक्रेन में स्थिति काफी चिंताजनक पहले से ही थी. यहां काफी संख्या में लोगों को उस हद तक टीका नहीं लगाया गया था, जितना कि कई अन्य यूरोपीय देशों या अमेरिका में लगाया गया है. उन्होंने कहा कि युद्ध की वजह से यूक्रेन की हेल्थ सिस्टम पर अतिरिक्त दबाव से नियमित टीकाकरण संख्या में भारी गिरावट आएगी. कोविड -19 का प्रसार तो तत्कालिक हैं लेकिन कई और बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ा है. लोग खुद को बमबारी से बचाने के लिए बेसमेंट, सबवे स्टेशनों और अस्थायी आश्रयों में फंस गए हैं. इन जगहों पर साफ पानी और साफ-सफाई नहीं है. ऐसे में डॉक्टरों का मानना है कि इससे डायरिया की बीमारियां बढ़ सकती हैं.
मारियुपोल में हालात हैं बदतर
व्हाइट के मुताबिक रूसी सेना मारियुपोल को टारगेट कर रही है, जहां हालात असहनीय और बदतर हैं. यूक्रेन यूरोप के भीतर 2011 में हैजा फैलने वाला आखिरी देश था और इस बीमारी से मारियुपोल का काफी प्रभावित हुआ था. ह्यूमन राइट वॉच ने हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया था कि मारियुपोल में 2 मार्च से पानी, बिजली की भारी दिक्कत है. विश्व वन्यजीव कोष (WWF) के अनुसार इस शहर की आबादी करीब 5 लाख है. ये काल्मियस नदी के मुहाने पर स्थित है, जिसमें खतरनाक रूप से उच्च स्तर का प्रदूषण है. यहां के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बिजली से चलते हैं, जिसे काट दिया गया है. यूक्रेन के कई और शहरों में भी रूसी हमले की वजह से भारी तबाही है.
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