रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 8 दिनों से भीषण जंग जारी है. दोनों देशों ने बातचीत के लिए जो जगह चुनी, वो बेलारूस बॉर्डर पर थी, ऐसे में जंग के बीच शांति के प्रयासों में बेलारूस की अहमियत है. हालांकि बेलारूस से भी रूसी सैनिक यूक्रेन में दाखिल हुए थे. खासतौर पर कीव के लिए बढ़े रूसी सैनिक दस्ते इसी रास्ते से आए.
रूस और यूक्रेन की भीषण जंग के बीच राजधानी मिन्स्क में कुछ लड़कियों ने युद्ध-विरोधी विरोध-प्रदर्शन किया. यानी बेलारूस रूस का साथ देने के साथ ही शांति के लिए मंच तैयार कर रहा है. इसकी राजधानी में युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन दिखाई दिया. बेलारूस की राजधानी मिन्स्क इस देश का सबसे बड़ा शहर है, जो स्विस्लाच नदियों पर स्थित है.
यूक्रेन के समर्थन में हुआ प्रोटेस्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध का विरोध करने वाले 500 से ज्यादा लोगों को बेलारूस में हिरासत में लिया गया था. रूसी हमले के विरोध में बेलारूस में करीब 12 से ज्यादा शहरों में विरोध प्रदर्शन हुआ था. इस विरोध में मिन्स्क भी शामिल था. मिन्स्क में प्रदर्शनकारियों ने यूक्रेन के झंडे लेकर जंग का विरोध किया था.
बेलारूस रूस के साथ
बेलारूस युद्ध में रूस का साथ दे रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी बेलारूस ने रूस के समर्थन में ही मतदान किया. इन सबके बीच बेलारूस की राजधानी मिन्स्क से एक ऐसी तस्वीर दिखाई दी, जो मानवीयता की मिशाल पेश करने की कोशिश कर रही है. बेलारूस भी यूक्रेन की तरह ही सोवियत संघ से अलग हुआ था. बेलारूस के राष्ट्रपति एलेग्जेंडर लुकाशेंको रूस समर्थक हैं और कई सालों से सत्ता पर काबिज हैं.
क्या है मिन्स्क समझौता?
इन दिनों जिस मिन्स्क समझौते का भी सबसे ज्यादा जिक्र हो रहा है, उसके बारे में भी थोड़ा जान लेना जरूरी है. दरअसल पूर्वी यूक्रेन में रूस के समर्थक विद्रोहियों और यूक्रेन की सेना के संघर्ष के बाद मिन्स्क समझौते हुए थे. जिसमें 2014 में मिन्स्क 1 और साल 2015 में मिन्स्क दो. साल 2015 में रूस यूक्रेन, जर्मनी और फ्रांस के नेता यहीं इकट्ठा हुए. मिन्स्क समझौते के मुताबिक रूस समर्थक अलगाववादियों के कब्जे वाले इलाकों में इस समझौते के तहत शांति बहाल की जानी थी.