क्या साल 1962 की याद दिला रहा है यूक्रेन-रूस संकट? जब क्यूबा को लेकर USSR पर भड़क गया था अमेरिका
1962 में सोवियत संघ (Soviet Union) की मदद से क्यूबा (Cuba) में मिसाइलों की तैनाती कर दी गई थी. इस मसले पर उस वक्त अमेरिका भड़क गया था और दोनों परमाणु संपन्न देश आमने सामने आ गए थे.
रूस और यूक्रेन के बीच भीषण जंग जारी है. हमले से पहले रूस ने कई महीने पहले से यूक्रेन की सीमा के पास हजारों सैनिकों ( Russian Soldiers) को तैनात कर दिया था. जंगी जहाज से लेकर मिसाइल और टैकों समेत अन्य सैन्य साजो सामान को लेकर पूरी तैयारी की गई थी. ये सबकुछ साल 1962 की भी यादों को ताजा कर रहा है. रूस ने जिस तरह से अभी यूक्रेन (Ukraine Russia War) में हमले से पहले तैयारी की थी ठीक उसी तरह से 1962 में सोवियत संघ की मदद से क्यूबा (Cuba) में मिसाइलों की तैनाती कर दी गई थी. इस मसले पर उस वक्त अमेरिका भड़क गया था और दोनों परमाणु संपन्न देश आमने सामने आ गए थे. क्यूबा अमेरिकी सीमा से लगा हुआ देश है. उस वक्त भी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने अपनी सीमा के पास सोवियत संघ की ओर से की गई गतिविधियों पर कड़ा विरोध जताया था और परमाणु हमले की धमकी तक दे डाली थी.
1962 की याद दिला रहा है यूक्रेन संकट!
अमेरिकी सीमा के पास स्थित देश क्यूबा में सोवियत संघ (Soviet Union) की मदद से जब मिसाइलों की तैनाती की गई थी तो उस वक्त अमेरिका बौखला गया था और उस वक्त भी तीसरे विश्व युद्ध होने की आशंका जताई जा रही थी. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ने उस वक्त सोवियत संघ की ओर से की गई कार्रवाई को लेकर इसे एक चुनौती के तौर पर अस्मिता का प्रश्न बना लिया था. उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोवियत संघ से क्यूबा में तैनात की गईं मिसाइलों को हटाने के लिए कुछ घंटों का वक्त दिया था और ऐसा न होने पर परमाणु हमले के लिए तैयार रहने के लिए सख्त चेतावनी दी थी. बाद में दोनों देशों के बीच कुछ शर्तों के साथ बातचीत के बाद सोवियत संघ के नेता ख्रुश्चेव ने सार्वजनिक तौर पर क्यूबा से मिसाइलें हटाने की घोषणा कर दी. बाद में अमेरिका ने भी अपनी मिसाइलें टर्की से हटा लीं थी और एक भीषण परमाणु युद्ध टल गया था.
अमेरिका समेत कई देशों ने लगाए हैं रूस पर कड़े प्रतिबंध
दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ही अमेरिका और सोवियंत संघ के बीच शीतयुद्ध का दौर चल रहा था. दोनों एक तरह से आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए एक दूसरे से रेस में थे. यूक्रेन को लेकर वर्तमान परिस्थिति में अमेरिका लगातार रूस को कड़ी चेतावनी देता रहा है. अमेरिका ने सीधे तौर से यूक्रेन में अपने सैनिकों को लड़ने के लिए अभी तक तो नहीं भेजा है लेकिन अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने यूक्रेन की अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है. अमेरिका ने रूस पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. यूक्रेन पर हमले से पहले भी अमेरिका ने रूस को यूक्रेन पर हमले को लेकर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी और अब एक बार जब रूस ने जब यूक्रेन पर हमला बोला है तो अमेरिका समेत कई देश रूस को दूनिया में आर्थिक समेत कई मोर्चे पर अलग-थलग करने की कोशिश में जुटे हैं.
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