रूस और यूक्रेन के बीच 34वें दिन भी भीषण जंग जारी है. यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में बम के गोले अब भी बरसाए जा रहे हैं. मिसाइल से हमले किए जा रहे हैं. कीव, खारकीव, लवीव, मारियुपोल, ओडेसे समेत कई और दूसरे शहरों में तबाही का आलम है. डर का महौल इस कदर बना हुआ है कि अब तक 50 लाख से ज्यादा लोग देश छोड़कर भाग चुके हैं. इस युद्ध में हजारों लोग हताहत हुए हैं. सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान चली गई है. यूक्रेन के कई इलाकों में खाने-पीने की चीजों की काफी दिक्कत हो गई है. लोग अब भूख प्यास की वजह से भी छटपटा रहे हैं. स्कूलों, अस्पतालों पर हमले किए जा रहे हैं. कई लोगों का आशियाना उजड़ चुका है. सैकड़ों मासूम बच्चों की जान जा चुकी है. जंग से चारों तरफ तबाही ही तबाही है.
जंग से यूक्रेन में तबाही का आलम
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में हो रही ये जंग दो महाशक्तियों अमेरिका और रूस के बीच नाक की लड़ाई बन चुकी है. सोवियत संघ से अलग होने के बाद जिस देश को अपने पैरों पर खड़ा होने में करीब तीस साल लगे, वो एक महीने की लड़ाई में करीब-करीब तबाह हो चुका है. इस भीषण जंग को रोकने के लिए फ्रांस, तुर्की, इजरायल जैसे कई देश पर्दे के पीछे बातचीत कर रहे हैं और इसी का नतीजा है कि बेलारूस में असफल वार्ता के बाद एक बार फिर आज रूस और यूक्रेन बातचीत करने जा रहे हैं. भारतीय समय के मुताबिक आज दोपहर 12.30 बजे तुर्की के इस्तांबुल में दोनों देशों के प्रतिनिधि एक मेज पर बैठकर बातचीत करेंगे. बैठक से पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने कहा कि यूक्रेन रूस की छह में से चार शर्तें मानने के लिए तैयार है जिसमें यूक्रेन के NATO में शामिल नहीं होने की शर्त भी शामिल है.
इस्तांबुल की वार्ता में निकलेगा हल?
उधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की भी वीडियो जारी कर रूस की मांगों के आगे झुकने के संकेत दे चुके हैं. जेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन रूस को सुरक्षा गारंटी देने, तटस्थ रहने और खुद को न्यूक्लियर फ्री स्टेट घोषित करने करने के लिए तैयार है. हम डोनबास का जटिल मुद्दा भी मिल बैठकर सुलझाने के लिए तैयार हैं. आज होने वाली बातचीत से मॉस्को को भी बड़ी उम्मीदें हैं क्योंकि 34 दिन की जंग के बाद रूस अब तक यूक्रेन के किसी भी बड़े शहर पर पूरी तरह कब्जा नहीं कर पाया है. हमले में सिर्फ यूक्रेन को ही नुकसान नहीं पहुंचा है. यूक्रेन ये दावा करता रहा है कि रूस के हजारों सैनिक भी इस युद्ध में मारे गए. यूक्रेन के सैनिकों ने भी रूस के टैंकों समेत दूसरे हथियारों को नुकसान पहुंचाया है.
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