क्या है फॉस्फोरस बम जिसके यूक्रेन में इस्तेमाल का रूस पर है आरोप, मानव के लिए कितना खतरनाक है ये बम?
यूक्रेन (Ukraine) का आरोप है कि रूस की ओर से पूर्वी लुहांस्क के पोपास्ना शहर में व्हाइट फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल किया गया. मानव के लिए फॉस्फोरस बम बेहद ही घातक होता है.
रूस और यूक्रेन के बीच भीषण जंग जारी है. रूसी सैनिक लगातार 20वें दिन भी यूक्रेन के अलग-अलग शहरों पर बम के गोले बरसा रहे हैं. इस बीच रूस पर फॉस्फोरस बम के इस्तेमाल का आरोप लग रहा है. यूक्रेन का आरोप है कि युद्ध में रूस की ओर से उनके खिलाफ फॉस्फोरस बम (Phosphorus Bomb) का इस्तेमाल किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्वी लुहांस्क के पोपास्ना शहर में व्हाइट फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल किया गया. यूक्रेन की मानवाधिकार संस्था ने भी रूस की ओर से फॉस्फोरस बम के इस्तेमाल किए जाने का दावा किया है. हम इस बात को समझने की कोशिश करते हैं कि फॉस्फोरस बम क्या है और इसके कितने घातक प्रभाव हो सकते हैं और ये मानवों के लिए कितना खतरनाक है?
क्या है फॉस्फोरस बम?
फॉस्फोरस एक प्रकार का रंगहीन केमिकल है. ये ऑक्सीजन के संपर्क में आने से तेजी से जलता है. श्वेत फॉस्फोरस मोम जैसा मुलायम रवेदार पदार्थ होता है. इसमें लहसुन जैसी गंध होती है. प्रकाश में छोड़ देने पर यह धीरे-धीरे पीला हो जाता है. युद्ध के समय विस्फोटकों और धुंए का आवरण के लिए भी फॉस्फोरस का उपयोग होता है. पीला फॉस्फोरस बेहद ही विषैला होता है और और इसका धुंआ भी काफी घातक होता है. जलते हुए व्हाइट यानी सफेद फॉस्फोरस का तापमान 800 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है. इस बम के धमाके से पैदा हुए इसके लाखों कण हर तरफ सफेद धुएं के एक गुबार की तरह फैलते हैं. इसकी चपेट में आने से किसी भी व्यक्ति की तुरंत मौत हो सकती है. इसके घातक कण मानव शरीर के अंदर तक घुस जाते हैं.
मानव के लिए फॉस्फोरस बम कितना घातक?
मानव के लिए फॉस्फोरस बम बेहद ही घातक होता है. ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर ये तेजी से जलता है. जिस जगह या इलाके में इसका इस्तेमाल किया जाता है उस इलाके में ऑक्सीजन की काफी कमी हो जाती है. ये धुंए के गुबार की तरह हर तरफ फैल जाता है. रिहायशी इलाकों में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध है. इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस के मुताबिक अगर किसी खुली जगह पर फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल किया जाता है तो ये कई किलोमीटर की दूरी तक फैल सकता है. ये उस वक्त तक जलते रहते हैं जब तक ये खत्म नहीं होता या फिर वहां से ऑक्सीजन गैस खत्म नहीं हो जाती है. इसके कण मानव शरीर को अंदरूनी तौर पर काफी नुकसान पहुंचाते हैं. इसके संपर्क में आने पर तेजी से जलन महसूस होती है और इससे मौत तक हो जाती है. दुश्मन के खिलाफ धुंए का आवरण बनाने के लिए भी इसका काफी इस्तेमाल किया जाता है.
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