रूस और यूक्रेन में जंग के बीच इस नेता ने की मध्यस्थता की पेशकश, पुतिन से फोन पर की बात
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohammed Bin Salman) ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक फोन कॉल में रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता वार्ता की मेजबानी करने की पेशकश की है.
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रूस और यूक्रेन के बीच भीषण जंग जारी है. रूसी सैनिक यूक्रेन के कई इलाकों में लगातार बमबारी और मिसाइलें दाग रहे हैं. इस बीच सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohammed Bin Salman) ने यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) को लेकर मध्यस्थता की पेशकश की है. सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गुरुवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के साथ एक फोन कॉल में रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता वार्ता की मेजबानी करने की पेशकश की है. रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर गया है. आज 9वें दिन भी दोनों के बीच जंग जारी है. ऐसे में खाड़ी देश के नेता ने यूक्रेन संकट को लेकर राजनीतिक समाधान निकालने का आग्रह किया है. क्राउन प्रिंस का मानना है कि राजनीतिक समाधान के जरिए शांति की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है.
मोहम्मद बिन सलमान करेंगे रूस और यूक्रेन में मध्यस्थता!
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohammed Bin Salman) ने यूक्रेन में रूसी आक्रमण के बाद राजनीतिक समाधान निकालने का आह्वान किया. इसके साथ ही तेल बाजारों को स्थिर करने के लिए ओपेक और तेल उत्पादकों के समूह जिसमें रूस भी शामिल है के लिए अपना समर्थन दोहराया है. आधिकारिक सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक क्राउन प्रिंस ने उन प्रयासों के लिए समर्थन की वकालत की है जो एक राजनीतिक समाधान की ओर ले जाते हैं. ताकि इस जंग को जल्द से जल्द खत्म करके क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता लाई जा सके. उन्होंने कहा कि वो दोनों देशों के बीच मध्यस्थता के प्रयास करने के लिए तैयार है.
सऊदी अरब और रूस दोनों ओपेक के हैं सदस्य
बता दें कि दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक सऊदी अरब सहित खाड़ी में अरब देशों ने रूस की ओर से किए गए आक्रमण की आलोचना करने से ज्यादातर परहेज किया है, जिसके साथ उनके संबंध बढ़ते जा रहे हैं. बुधवार को हालांकि खाड़ी देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव के लिए मतदान किया जो रूस को यूक्रेन से तुरंत सैनिकों को वापस करने की मांग करता है. गौरतलब है कि सऊदी अरब और रूस दोनों ओपेक + (OPEC+) के सदस्य हैं, जिन्होंने तेल की बढ़ती लागत के बावजूद इस सप्ताह उत्पादन को स्थिर रखने का विकल्प चुना है.
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