जंग से तबाही के बीच योद्धा बने यूक्रेन के फिल्म निर्माता, जंग में ऐसे शामिल होकर दे रहे पुतिन के हमलों का जवाब
फिल्म निर्माता ओलेग सेंत्सोव (Oleg Sentsov) ने क्रीमिया पर कब्जे के विरोध में एक रूसी जेल में पांच साल बिताए थे और अब वह बदला लेने की लड़ाई में यूक्रेन की तरफ से फ्रंटलाइन में शामिल है.
रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. रूसी सैनिक लगातार हमला कर यूक्रेन के अलग-अलग शहरों को तबाह कर रहे हैं. इस बीच यूक्रेन के फिल्म निर्माता ओलेग सेंत्सोव भी अपने देश की रक्षा के लिए आगे आए हैं. फिल्म निर्माता ओलेग सेंत्सोव ने क्रीमिया पर कब्जे के विरोध में एक रूसी जेल में पांच साल बिताए थे और अब वह बदला लेने की लड़ाई में फ्रंटलाइन में शामिल है. एक कैमरे के पीछे काम करने के बजाय यूरोपीय संघ के सखारोव अधिकार पुरस्कार के विजेता ने रूस के आक्रमण से लड़ने के लिए एक क्षेत्रीय रक्षा स्वयंसेवक के रूप में शामिल हुए हैं. ये यूक्रेन के सशस्त्र बल का ही एक हिस्सा है. फिल्म मेकर का कहना है कि ये लड़ाई वैसी नहीं है जैसी फिल्मों में कल्पना की जाती है.
जंग में योद्धा बने यूक्रेन के फिल्म निर्माता
न्यूज एजेंसी एएफपी से बातचीत के दौरान फिल्म मेकर ने कहा कि ये लड़ाई फिल्मों की कल्पना से अलग है. यहां ज्यादातर वक्त तोपखाने में देने का होता है. फ्रंटलाइन पर लड़ते हुए दुश्मन को जवाब देना होता है न कि गोलाबारी से मरना. उन्होंने 2011 में केवल 20,000 डॉलर के बजट पर अपनी पहली फिल्म "गेमर" लिखी और निर्देशित की और 2014 में उनकी गिरफ्तारी के समय एक और फिल्म "राइनो" बनाने की योजना बनाई जा रही थी. सेंत्सोव का कहना है कि रूस में सलाखों के पीछे उनके लंबे समय ने उन्हें दिखाया था कि रूस सिर्फ क्रीमिया को लेने से संतुष्ट नहीं होगा.
जीत तक लड़ते रहेंगे- ओलेग सेंत्सोव
फिल्मकार ने आगे बताया कि मेरे कुछ दोस्त कैद से रिहा होने के बाद कहते थे कि तुम बहुत कट्टरपंथी हो, रूसियों से नफरत करते हो, वे इतने बुरे नहीं हैं. लेकिन अब वे मुझे समझते हैं. मैंने देखा है कि रूसी यूक्रेनियन और यूरोपीय लोगों के साथ कैसे क्रूरता के साथ व्यवहार करते हैं. इससे पहले उन्होंने कहा था कि यूक्रेन के क्षेत्र पर पहले बम के गिरने के साथ जीवन एक पल में बदल गया है. हिटलर के आक्रमण को लेकर हम जो कुछ भी जानते थे वह अब फिर से वास्तविक हो गया है. यूक्रेनी बच्चों पर रूसी बम गिराए जा रहे हैं. लाखों लोग भोजन की कमी का सामना कर रहे हैं लेकिन हमारी आत्मा मजबूत है और हम अपनी जीत तक लड़ते रहेंगे.
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