रूस और यूक्रेन के बीच लगातार युद्ध जारी है. इस बीच यूक्रेन संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) की ओर से आयोजित विशेष सत्र में गंभीरता से चर्चा की गई. संयुक्त राष्ट्र महासभा में कुछ देर का मौन भी रखा गया. संयुक्त राष्ट्र महासभा की इमरजेंसी विशेष सत्र में कहा गया कि सभी पक्ष तुरंत जंग को रोकने के लिए कदम उठाएं. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने कहा कि इस मुद्दे पर संयम बरतने की जरूरत है. डिप्लोमेटिक तरीके से संवाद कायम रखकर इस मुद्दे का समाधान निकाला जाना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस (Antonio Guterres) ने कहा कि शांति ही इस समस्या का समाधान है. 


यूक्रेन संकट पर चर्चा


वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) की आपात बैठक में यूक्रेन (Ukraine) ने कहा है कि अगर हम नहीं बचे तो संयुक्त राष्ट्र नहीं बचेगा. यूक्रेन के प्रतिनिधि ने कहा कि अभी तक यूक्रेन के 16 बच्चों समेत 352 लोग मारे गए. युद्ध में मरने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बम के गोले और मिसाइलें दागी जा रही हैं. रूस की ओर से यूक्रेन के खिलाफ इस हमले को रोकना होगा. यूक्रेन ने कहा कि ये रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कौन सा पागलपन है. राष्ट्रपति पुतिन की कड़ी आलोचना करते हुए यूक्रेन के प्रतिनिधि ने कहा कि रूस कब संयुक्त राष्ट्र का मेंबर बना. सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस की सदस्यता के लिए किसने कब वोट किया? वहीं रूस ने इस पूरे हालात के लिए यूक्रेन को ही जिम्मेदार ठहराया है.


हालात के लिए यूक्रेन जिम्मेदार- रूस


संयुक्त राष्ट्र महासभा की आपात बैठक में रूस के प्रतिनिधि ने कहा कि यूक्रेन और जॉर्जिया की ओर से नाटो (NATO) में शामिल होने के लिए कार्य योजनाएं बनाई जा रही थीं. यूक्रेन नाटो का मेंबर बनने की पूरी कोशिश कर रहा था और पश्चिमी सहयोगी उनकी इसमें मदद कर रहे थे. अमेरिका की नीति रूस के खिलाफ यूक्रेन को खड़ा करने की थी. अमेरिका की ये रणनीति थी कि यूक्रेन नाटो में शामिल हो जाए. रूस के प्रतिनिधि ने कहा कि LPR और DPR के लोगों को यूक्रेन की नीति की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था लेकिन पश्चिमी देशों को उनके लिए कोई सहानुभूति नहीं थी. रूसी प्रतिनिधी ने आगे कहा कि रूस की ओर से सेल्फ डिफेंस के लिए यूक्रेन के खिलाफ कदम उठाया गया है.


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