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Ukraine Russia War: रासायनिक या जैविक हथियार क्या है? क्या ये जंग में वैध है?

केमिकल और बायोलॉजिकल दोनों ही हथियारों का इस्तेमाल पूरे इलाके के लोगों का मारने के मकसद से किया जा सकता है. इसका असर आने वाली कई पीढ़ियों तक देखा जा सकता है. लोग अपंगता का शिकार हो जाते हैं

Ukraine Russia War: रूस और यूक्रेन के बीच 18वें दिन भी जंग जारी है. यूक्रेन के कई शहरों में रूसी सैनिक बम के गोले बरसा रहे हैं. बड़ी-बड़ी इमारतों के साथ स्कूलों और अस्पतालों पर भी हमले किए जा रहे हैं. लगातार हमलों के बीच रासायनिक या जैविक हथियार की चर्चा भी जोरों पर है. अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देशों ने आशंका जताई है कि रूस रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. रूस ने अभी हाल ही में यूक्रेन पर केमिकल हथियार को लेकर रिसर्च करने के आरोप लगाए थे जिसके बाद से इसके इस्तेमाल को लेकर दुनिया भर में आहट तेज हो गई है.

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने रूस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि उन्होंने कोई रासायनिक हथियार नहीं बनाए हैं. रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर बोरिस जॉनसन ने चिंता जताई है. उनका मानना है कि रूस यूक्रेन में कथित केमिकल हथियारों के शोध का आरोप लगाया है और उसके जवाब में वो उन हथियारों के उपयोग करने के लिए प्लान तैयार कर सकता है.

रासायनिक हथियार क्या हैं?

यूक्रेन में जंग के बीच दुनियाभर में जैविक या रासायनिक हथियारों को लेकर चर्चा तेज हो गई है. ऐसे में ये समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर जैविक या रासायनिक हथियार क्या होते हैं और इनका हमला कितना खतरनाक होता है. केमिकल हथियार का मतलब टॉक्सिक केमिकल और जहर का इस्तेमाल करने से है. इसका इस्तेमाल जानबूझकर मौत या इसके जहरीले गुणों के जरिए लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता है. ये हथियार रासायनिक क्रिया के माध्यम से मृत्यु, अस्थायी अक्षमता या फिर मानव या जानवरों को स्थाई तौर पर नुकसान पहुंचा सकते हैं. इन्हें जल स्रोतों, हवा या खाने में डालकर दुश्मन के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है. 

जैविक और रासायनिक हथियारों से कितना नुकसान?

बायोलॉजिकल यानी जैविक हथियार का मतलब है कि वायरस या बैक्टीरिया के जरिए लोगों को बीमार करके उन्हें मौत की नींद सुला देना या फिर उन्हें अपंग बना देना. आसान भाषा में कहा जाए तो ऐसे हथियार जिनमें विस्फोटक नहीं बल्कि कई तरह के बैक्टीरिया, वायरस या फंगस और ज़हरीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है. जैविक हथियार के हमले से मानव या फिर दूसरे जीवों के शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. इन हथियारों के इस्तेमाल से कई मामलों में लोग विकलांग और मानसिक बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं. केमिकल और बायोलॉजिकल दोनों ही हथियारों का इस्तेमाल पूरे इलाके के लोगों का मारने के मकसद से किया जा सकता है. इसका असर आने वाली कई पीढ़ियों तक देखा जा सकता है. लोग अपंगता का शिकार हो जाते हैं.

क्या जंग में रासायनिक हथियार वैध हैं?

1949 में हस्ताक्षरित जिनेवा प्रोटोकॉल के तहत जंग में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. ऐसे हथियारों पर 1925 से प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके बाद साल 1972 में बायोलॉजिकल वेपन कन्वेंशन की स्थापना की गई और 26 मार्च 1975 को 22 देशों ने इसमें सिग्नेचर किए थे. आज भारत समेत दुनिया के 183 देश इसके सदस्य हैं. बावजूद इसके कई देश आज भी रासायनिक या फिर जैविक हथियारों के निर्माण में जुटे हैं. रूस और यूक्रेन में जंग के बीच इन हथियारों के इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ी है. अगर ऐसा हुआ तो इसके बहुत भी भयानक परिणाम होंगे.

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