रूसी सैनिकों के लगातार हमले से यूक्रेन में तबाही का आलम है. बम के गोले बरसाए जा रहे हैं, मिसाइलें दागी जा रही हैं. वहीं दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को लेकर दुनियाभर में पहल तेज हो गई है. भारत की भूमिका भी इसमें काफी अहम मानी जा रही है. रूस और यूक्रेन के बीच एक महीने से ज्यादा वक्त से जारी जंग को खत्म कराने के लिए भारत शांति दूत बन सकता है. युद्ध के बीच दोनों देशों में सुलह कराने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव इसी हफ्ते भारत के दौरे पर आ रहे हैं. वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट 3-5 अप्रैल के बीच भारत दौरे पर पहुंच रहे हैं.
रूस और यूक्रेन के बीच क्या सुलह कराएगा भारत?
हालांकि इजरायल के पीएम नफ्ताली बेनेट के कोविड-19 पॉजिटिव होने के बाद उनके भारत दौरे को लेकर सस्पेंस बरकरार है. बताया जा रहा है कि अगर नफ्ताली भारत का दौरा करते हैं तो यूक्रेन में जारी जंग को विराम देने की राह में कोई समाधान निकलने की संभावना है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ बातचीत करने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नफ्ताली बेनेट से बातचीत करेंगे. वहीं बताया ये भी जा रहा है कि नफ्ताली की यात्रा खत्म होने के बाद नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ बातचीत कर सकते हैं. नफ्ताली और मोदी अगर पुतिन और जेलेंस्की से बातचीत करते हैं तो जंग खत्म करने को लेकर हल निकल सकता है. इजरायल का अमेरिका से भी बेहतर संबंध है और यूक्रेन से भी.
भारत और इजरायल की क्या हो सकती है भूमिका
संयुक्त राष्ट्र संघ भी यूक्रेन के मुद्दे पर भारत के साथ करीब से संपर्क में है. भारत लगातार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस युद्ध को जितनी जल्दी हो सके खत्म करने की वकालत कर रहा है. हालांकि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था. हालांकि भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है. भारत और इजरायल इस युद्ध को खत्म करने और मतभेदों को सुलझाने में अहम भूमिका निभा सकता है. गौरतलब है कि भारत और रूस के बीच संबंध अच्छे हैं तो वहीं अमेरिका से भी भारत की नजदीकियां हैं और रिश्ते भी ठीक हैं. तो वहीं अमेरिका यूक्रेन की पीछे समर्थन में खड़ा है. भारत के सामने संकट ये है कि वो अमेरिका और रूस दोनों से ही रिश्ते नहीं बिगाड़ना चाहता है क्योंकि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में भारत को रूस और अमेरिका दोनों की ही जरूरत है ऐसे में विवाद को सुलझाने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
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