UN Credentials Committee: संयुक्त राष्ट्र क्रेडेंशियल्स कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान का तालिबान प्रशासन और म्यांमार जुंटा को एक बार फिर झटका लगा है. तालिबान और म्यांमार जुंटा अपने-अपने राजदूत संयुक्त राष्ट्र में भेज सकते हैं या नहीं, इस पर दोनों का प्रस्ताव दूसरी बार स्थगित कर दिया गया है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अगले नौ महीनों में इस पर दोबारा पुनर्विचार किया जा सकता है.
लीबिया की संयुक्त राष्ट्र सीट के लिए दावा भी टाला
193 सदस्यीयों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा शुक्रवार को इस रिपोर्ट को मंजूरी देने वाली है, इसमें लीबिया की संयुक्त राष्ट्र सीट के लिए दावों को भी टाल दिया गया है. नौ सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र क्रेडेंशियल्स समिति में रूस, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं.
म्यांमार-अफगानिस्तान में दोबारा दावे किए गए थे
म्यांमार और अफगानिस्तान की संयुक्त राष्ट्र में सीट के लिए फिर से दावे किए गए थे. तालिबान प्रशासन और म्यांमार के जुंटा ने पिछली सरकारों के राजदूतों के खिलाफ अपने दूत खड़े किए थे, जिन्हें उन्होंने पिछले साल भी बेदखल कर दिया था. तालिबान प्रशासन और म्यांमार के जुंटा की संयुक्त राष्ट्र की स्वीकृति मिलने के बाद दोनों को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिलने में एक अहम कदम साबित होगा.
मान्यता देने का निर्णय स्थगित
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पिछले साल म्यांमार और अफगानिस्तान को मान्यता देने के निर्णय को स्थगित कर दिया था. वहीं, इस साल लीबिया की तरफ से भी संयुक्त राष्ट्र में सीट के लिए दावा भी किया गया था.
संयुक्त राष्ट्र क्रेडेंशियल्स समिति ने 12 दिसंबर को बैठक की थी और बिना वोट के म्यांमार, अफगानिस्तान और लीबिया के लिए "क्रेडेंशियल्स के अपने विचार को स्थगित करते हुए कहा कि 77वें सत्र में इन पर विचार किया जाएगा. 77वां सत्र सितंबर 2023 में होगा.
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