संयुक्त राष्ट्र: विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख ने कहा है कि वह विश्व के सबसे धनी कुछ देशों के नेताओं से फोन पर संपर्क में हैं. उन्हें एक अहम संदेश दे रहे हैं कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी न सिर्फ उनकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है बल्कि संवेदनशील और संघर्ष ग्रस्त देशों पर भी असल डाल रही है. जहां लाखों लोग भुखमरी का सामना करने पर मजबूर हो जाएंगे अगर ये देश भोजन के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को रोकते या कम करते हैं.

डेविड बिसले ने एसोसिएटेड प्रेस के साथ साक्षात्कार में कहा कि वह नेताओं को बता रहे हैं कि आपूर्ति श्रृंखला को बरकरार रखना जरूरी है और इसमें कई संभावित बाधाएं हैं जैसे निर्यात पर लगे प्रतिबंध, सीमाओं और बंदरगाहों को बंद करना, खेत में फसलों का ना उपजना और सड़कों का बंद रहना. उन्होंने कहा, “अगर हमारे पास पैसा और पहुंच हो तो हम सूखे को टाल सकते हैं और भुखमरी से होने वाली मानवता की विनाशकारी मौतों को टाल सकते हैं.”

बिसले ने कहा, “लेकिन अगर हमें आर्थिक सहायता नहीं मिलेगी या आपूर्ति की कड़ियां बाधित होती हैं तो यह आपदा बन सकती है.” उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पिछले हफ्ते आगाह किया था कि जहां विश्व कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपट रहा है, वहीं वह ‘‘भुखमरी की वैश्विक महामारी के कगार पर” है और अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो कुछ ही महीनों के भीतर यह “बड़े पैमाने के कई अकाल” ला सकता है.

उन्होंने कहा कि अब पूरे विश्व में 82.1 करोड़ लोग रोज रात को भूखे सो रहे हैं, 13.5 करोड़ और लोग ‘‘भूखमरी के संकट या उससे भी बुरे स्तर’” का सामना कर रहे हैं. विश्व खाद्य कार्यक्रम का एक नया आकलन दिखाता है कि कोविड-19 के परिणामस्वरूप 13 करोड़ लोग “2020 के अंत तक भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे.” बिसले ने बताया कि विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत करीब 10 करोड़ लोगों को रोजाना भोजन उपलब्ध कराया जाता है. इनमें 3 करोड़ लोग ऐसे हैं जो जिंदा रहने के लिए पूरी तरह हम पर निर्भर रहते हैं.

उन्होंने कहा कि अगर उन 3 करोड़ लोगों तक पहुंच नहीं बनाई जा सकी, “तो हमारा आकलन दिखाता है कि 3 महीने के भीतर हर दिन 3 लाख लोग भुख से मरेंगे’’ और इनमें वे लोग शामिल नहीं हैं जो कोरोना वायरस के चलते बढ़ी भुखमरी से प्रभावित हैं. बिसले ने कहा कि बुरी से बुरी स्थिति में करीब 36 देशों में अकाल पड़ सकता है और उनमें से 10 देशों में से प्रत्येक देश में 10 लाख से ज्यादा लोग पहले से भुखमरी की कगार पर हैं.

उन्होंने बताया कि विश्व खाद्य कार्यक्रम को अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, यूरोपीय संघ, जापान और अन्य समृद्ध देशों से समर्थन मिलता है. बिसले ने समझाया कि अगर इन देशों की अर्थव्यवस्था बिगड़ती है तो इससे हमें मिलने वाली मदद प्रभावित होगी और यह विभिन्न तरीकों से विकासशील देशों की स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा.

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