International Day To Combat Islamophobia: दुनिया में इंसानों की दूसरी सबसे बड़ी कम्युनिटी 'इस्लाम' के प्रति कुछ देशों में बढ़ती नफरत, भेदभाव और हिंसा की घटनाओं पर काबू पाने के लिए 'अंतर्राष्ट्रीय इस्लामोफोबिया विरोधी दिवस' (Anti-Islamophobia Day) घोषित किया गया है. संयुक्त राष्ट्र (UN) की घोषणा के अनुसार, यह खास दिन हर साल मार्च महीने के दूसरे हफ्ते में मनाया जाएगा.
पहली बार 'अंतर्राष्ट्रीय इस्लामोफोबिया विरोधी दिवस' संयुक्त राष्ट्र में ही मना है. इसके लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन में विश्व के इस्लाम-बहुल देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए. इस मौके पर वक्ताओं ने मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती नफरत, भेदभाव और हिंसा के खिलाफ ठोस कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया.
'कट्टरता और पूर्वाग्रह का सामना कर रहे मुस्लिम'
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि दुनियाभर में लगभग 2 अरब मुसलमान हैं और ये मानवता को उसकी सभी विविधता में प्रतिबिंबित करते हैं. उन्होंने कहा, ''हालांकि वे केवल अपने विश्वास के कारण अक्सर कट्टरता और पूर्वाग्रह का सामना करते हैं. इसके अलावा, मुस्लिम महिलाओं को उनके लिंग, जातीयता और विश्वास के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है.''
'हमें इस्लामोफोबिया को रोकना होगा'
गुटेरेस ने कहा, ''मुसलमानों के प्रति बढ़ती नफरत कोई अकेली घटना नहीं है. दुनिया के कई हिस्सों में 'इस्लामोफोबिया' के चलते मुसलमानों को दिक्कतें हुई हैं. आम मुस्लिमों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है. मैं कहूंगा कि कहीं भेदभाव हो रहा है तो इसे हम सभी को कम करना है.'' उन्होंने कहा कि ये जरूरी है कि हम इस (इस्लामोफोबिया) के खिलाफ खड़े हों. सभी को 'कट्टर' नहीं माना जा सकता, हमें 'फोबिया' को खत्म करने पर जोर देना चाहिए.
15 मार्च, 2022 को पारित हुआ था प्रस्ताव
'इस्लामोफोबिया' से निपटने के लिए दुनिया के बड़े इस्लामिक मुल्कों ने आवाज उठाई है. 15 मार्च, 2022 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आम सहमति से एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसे पाकिस्तान द्वारा इस्लामिक सहयोग संगठन की ओर से पेश किया गया था. इस प्रस्ताव ने 15 मार्च को इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित कराया.
यह भी पढ़ें: ऐसा क्या हो गया कि सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया अब अपनी राजधानी बदल रहा है?