UN Report On Climate Change: जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने दावा किया है कि दुनिया भर में इसका सबसे अधिक असर गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सेहत पर पड़ता है. दुबई में जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक पार्टियों (सीओपी 28) के सम्मेलन से पहले संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा मंगलवार (21 नवंबर ) को जारी कॉल फॉर एक्शन में कहा गया है कि गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों पर जलवायु परिवर्तन के होने वाले असर को हमेशा उपेक्षित किया जाता है. इसे कम करके भी आंका जाता है.


न्यूज एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि बहुत कम देशों की जलवायु परिवर्तन की एक्शन रिपोर्ट में गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सेहत पर असर के बारे में जिक्र किया जाता है.  इस रिपोर्ट में दुनिया भर में कार्बन गैस उत्सर्जन कम करने और बच्चों और महिलाओं की सेहत के लिए सुरक्षा उपायों पर जोर दिया गया है.


"जलवायु परिवर्तन हम सभी के अस्तित्व के लिए खतरा"


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज, लाइफ कोर्स के सहायक महानिदेशक ब्रूस आयलवर्ड ने कहा, "जलवायु परिवर्तन हम सभी के अस्तित्व के लिए खतरा है. हालांकि गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों को इसके सबसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ता है." उन्होंने कहा, "बच्चों के भविष्य को जलवायु परिवर्तन के खतरे से सुरक्षित करने की आवश्यकता है. इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है."


जलवायु परिवर्तन की वजह से कई प्राकृतिक आपदाएं


आयलवर्ड ने इस बात पर जोर दिया है कि वर्ष 2023 में जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक असर की वजह से कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है. इनमें जंगल की आग, बाढ़, लू और सूखा खास तौर पर लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर कर चुके हैं. फसलों का नुकसान हुआ है, जबकि पालतू जानवर मौत के साए में रहे हैं .


उन्होंने कहा कि लगातार बिगड़ती हवा की गुणवत्ता और अत्यधिक गर्म होती दुनिया में हैजा, मलेरिया और डेंगू जैसी घातक बीमारियों का प्रसार बढ़ा है. ये संक्रमण बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए घातक हैं.


"जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होता हैं बच्चों के दिमाग"


यूनिसेफ के कार्यक्रमों के उप कार्यकारी निदेशक उमर आब्दी ने कहा, "बच्चों के शरीर और दिमाग प्रदूषण, घातक बीमारियों और मौसमी प्रभाव के प्रति विशिष्ट रूप से संवेदनशील होते हैं. जलवायु परिवर्तन की एक्शन रिपोर्ट में इन चीजो को नजरअंदाज किया जाता है. होना यह चाहिए कि दुनिया भर में गर्भवती मां और बच्चों की सेहत की सुरक्षा के लिहाज से ही उपाय किए जाने चाहिए."


गर्भ में ही बच्चों को होने लगता है नुकसान


संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की शोध से यह भी पता चला है कि जलवायु परिवर्तन का असर मां के गर्भ में ही शुरू हो जाता है. इससे गर्भावस्था से संबंधित समस्याएं जैसे समय से पहले जन्म, कम वजन और मृत बच्चे का जन्म हो सकता है. गर्भ में प्रभावित होने वाले बच्चों पर जीवनभर इसका असर रहता है और उनके शरीर और मस्तिष्क का विकास प्रभावित होता है.


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