तालिबान के कब्जे के 6 महीने बाद भी Afghanistan की हालत नाजुक, UN की रिपोर्ट में दावा
Afghanistan: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) ने एक रिपोर्ट में कहा कि तालिबान (Taliban) के कब्जे के करीब छह महीने बाद भी अफगानिस्तान में स्थिति अनिश्चित बनी हुई है.
UN On Afghanistan: अफगानिस्तान की आर्थिक हालत काफी खराब है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने एक रिपोर्ट में कहा कि तालिबान (Taliban) के कब्जे के करीब छह महीने बाद भी अफगानिस्तान में स्थिति अनिश्चित बनी हुई है और हालात काफी बिगड़े हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) ने गुरुवार को 'अफगानिस्तान की स्थिति और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा' पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्थिरता और भविष्य में अंतरराष्ट्रीय समर्थन पाने के लिए अलगाव (Isolation) की स्थिति से बचना जरुरी है. उन्होंने कहा कि तालिबान खुद को केयरटेकर सरकार के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन अभी भी प्रशासनिक ढांचे का निर्माण ठीक तरीके से नहीं हो पाया है.
अफगानिस्तान की हालत अभी भी नाजुक-UN
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने आगे कहा कि गवर्निंग ढाचे के निर्माण न होना देश की जातीय, राजनीतिक और भौगोलिक विविधता को दर्शाता है. संसाधनों और क्षमता में कमी की वजह से हालात ठीक नहीं हो पा रहे हैं. संसाधनों और क्षमता की कमी के साथ-साथ एक विचारधारा जो कई तरह से शासन के अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के साथ टकरा रही. जिससे काफी नुकसान पहुंच रहा है. गुटेरेस ने ये भी कहा कि तालिबान ने कई अफगान लोगों का विश्वास स्थापित नहीं किया है या अफगानों को शासन करने की अपनी क्षमता के बारे में आश्वस्त नहीं कर पाया है. यहां अभी भी कई लोग अपने देश को छोड़ना चाहते हैं.
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'समाज के सभी वर्गों तक पहुंच जरुरी'
इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि यह जरूरी है कि एक बेहतर शासन प्रक्रिया स्थापित करने के लिए अफगान समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने के लिए हर संभव कोशिश हो. ताकि अफगान समाज की इच्छाओं और हितों को पूरी तरह से प्रतिबिंबित करने वाली समावेशी शासन संरचनाओं को बढ़ावा मिल सके. बता दें कि तालिबान ने करीब दो दशक तक जंग के बाद पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था. जिसके बाद वहां से अमेरिकी सैनिक वापस हो गए थे. उस वक्त अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) को संयुक्त अरब अमीरात भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था जबकि उन्हें अमेरिका का समर्थन भी प्राप्त था.
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