South China Sea Dispute: भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में दक्षिण चीन सागर पर अपने दावों को लेकर अमेरिका की कड़ी आलोचना का सामना करने वाले चीन ने बुधवार को कहा कि विश्व निकाय की उच्चाधिकार प्राप्त इकाई विवादास्पद मुद्दे पर चर्चा करने का ‘‘उपयुक्त स्थान’’ नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में समुद्री सुरक्षा पर हुई उच्चस्तरीय खुली परिचर्चा में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, केन्या के राष्ट्रपति उहरु केन्यात्ता और वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह तथा अन्य वर्चुअल रूप से शामिल हुए थे.
अमेरिका और चीन इस दौरान उस बैठक में दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर आपस में भिड़ गए थे जिसमें सोमवार को समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने को मान्यता देने वाले अध्यक्षीय बयान को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था. सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक चीन ने प्रस्ताव का समर्थन किया था. समुद्री सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्चस्तरीय बैठक के संबंध में अपनी पहली प्रतिक्रिया में चीनी विदेश मंत्रालय ने यहां कहा, ‘‘दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सुरक्षा परिषद उपयुक्त स्थान नहीं है.’’
चीनी विदेश मंत्रालय ने यहां पीटीआई द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘नौ अगस्त को भारत की पहल पर अगस्त माह की इसकी अध्यक्षता के तहत सुरक्षा परिषद ने समुद्री सुरक्षा पर एक खुली परिचर्चा की, और पूर्व की सहमति के आधार पर एक अध्यक्षीय बयान स्वीकार किया.’’ मंत्रालय ने लिखित उत्तर में कहा, ‘‘सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने सामान्य तौर पर जोर देकर कहा कि समुद्री सुरक्षा से संबंधित मुद्दों की अनदेखी नहीं की जा सकती और जलदस्युओं तथा अन्य समुद्री अपराधों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने का समर्थन किया.’’
इसने कहा कि चीन समुद्री सुरक्षा को अत्यंत महत्व देता है और पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग वाली सामान्य समुद्री सुरक्षा अवधारणा की पैरवी करता है तथा समानता, पारस्परिक हित, निष्पक्षता, न्याय, संयुक्त योगदान और साझा लाभों को दर्शाने वाले समुद्री सुरक्षा ढांचे के निर्माण के लिए कटिबद्ध है.
चीन ने इसके साथ ही दक्षिण चीन सागर पर बीजिंग के दावों तथा ‘‘भड़काऊ कदमों’’ पर ब्लिंकन द्वारा की गई कड़ी आलोचना पर कड़ी आपत्ति की. मंत्रालय ने कहा, ‘‘दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर अमेरिकी प्रतिनिधि की टिप्पणियों के जवाब में चीनी प्रतिनिधि ने मौके पर ही कड़ा विरोध किया. बैठक में उन्होंने अमेरिका के अनुचित आरोपों को पूरी तरह खारिज किया.’’
ब्लिंकन ने चीन पर परोक्ष हमला करते हुए कहा था, ‘‘दक्षिण चीन सागर में गैर कानूनी दावों को आगे बढ़ाने के लिए हमने पोतों के बीच खतरनाक मुठभेड़ और भड़काऊ कार्रवाई देखी हैं. उन नियमों की रक्षा करना प्रत्येक सदस्य देश की जिम्मेदारी है जिनपर हम समुद्री विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सहमत हुए हैं.’’
चीन दावा करता रहा है कि लगभग समूचा दक्षिण चीन सागर उसका है और वह कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य प्रतिष्ठान बनाता रहा है. ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपीन, ताइवान और वियतनाम भी इसपर अपना दावा करते हैं. दक्षिण चीन सागर में भविष्य में कभी भी बड़ा टकराव हो सकता है क्योंकि नौवहन स्वतंत्रता की बात कहकर अमेरिका वहां नौसैन्य एवं हवाई मिशन चलाता रहा है.
वहीं, चीन के नौसैन्य पोत और वायुसेना के विमान क्षेत्र में चीनी संप्रभुता की बात कहकर प्राय: उनका पीछा करते रहे हैं. गत शुक्रवार को, चीन ने दक्षिण चीन सागर में पांच दिवसीय नौसैन्य अभ्यास शुरू किया. वहीं, भारतीय नौसेना ने भी अगस्त के शुरू से दो महीने के लिए दक्षिण चीन सागर, पश्चिमी प्रशांत और दक्षिण-पूर्व एशिया जल क्षेत्र में अपना एक कार्यबल तैनात किया है जिसमें अग्रिम श्रेणी के चार युद्धपोत शामिल हैं.