वॉशिंगटन: अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलर्सन ने ओबामा के समय में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को एक असफल समझौता करार दिया है. ‘बेकाबू’ ईरान दूसरा उत्तर कोरिया हो सकता है.
टिलर्सन ने कहा कि अमेरिका ईरान पर अपनी नीति की व्यापक समीक्षा कर रहा है. उन्होंने कहा कि ओबामा के समय में हुआ परमाणु समझौता तेहरान के परमाणु संपन्न बनने की गति को थोड़ा धीमा करता है.
आनन फानन में बुलाई गई एक प्रेस वार्ता में कल उन्होंने कहा कि यह समझौता उसी तरह से विफल हुआ है जिस तरह से हम मौजूदा दौरा में उत्तर कोरिया से खतरे का सामना कर रहे हैं. ट्रंप प्रशासन की मंशा ईरान के मामले की जिम्मेदारी भावी प्रशासन पर छोड़ने की नहीं है.
उन्होंने कहा कि ईरान की परमाणु महत्वकांक्षा अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है.
टिलर्सन का कल लिया गया यह कड़ा रुख ट्रंप प्रशासन के कांग्रेस को यह बताने के एक दिन बाद आया है कि तेहरान 2015 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा परमाणु समझौते पर की गई वार्ता का पालन कर रहा है जो इस्लामिक गणराज्य की परमाणु क्षमता को सीमित करने के बाबत है. प्रशासन ने कहा कि इसने अपने परमाणु कार्यक्रम पर नियंत्रण लगाने के बदले में ईरान पर लगे प्रतिबंधों में दी जाने वाली राहत को बढ़ा दिया है.
ईरान कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पुरी तरह से असैन्य है और इसके सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनेई ने नवंबर में चेताया था कि अगर अमेरिका परमाणु समझौते का उल्लंघन करता है तो तेहरान पलटवार करेगा. टिलर्सन ने इस विचार पर समर्थन भी मांगा कि अमेरिका पश्चिम एशिया में ईरान के अस्थिरता वाले व्यवहार का बलपूर्वक मुकाबला करे. उन्होंने तेहरान को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला एक प्रमुख देश भी करार दिया.
उन्होंने कहा कि साक्ष्यों से स्पष्ट है कि ईरान की उकसावे की कार्रवाई अमेरिका, क्षेत्र और दुनिया के लिए खतरा है.
टिलर्सन ने कहा कि ऐसी संभावना है कि अनियंत्रित ईरान उसी रास्ते पर चला है जिस पर उत्तर कोरिया चला है और दुनिया को भी इसपर साथ ले जा सकता है. अमेरिका दूसरे सबूत को नजरअंदाज करने का उत्सुक है. ऐसे मामलों में रणनीतिक धर्य बनाने की धारणा विफल हो जाती है.