बिश्केक, किर्गिस्तान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13-14 जून को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पहुचेंगे. इस बैठक पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं. पीएम मोदी के पहुंचने से पहले एबीपी न्यूज़ इस पूरे कार्यक्रम की कवरेज के लिए बिश्केक पहुंच गया है. आज हम आपको किर्गिस्तान की बेहद रोचक परंपरा के बारे में जानकारी दे रहे हैं. यह परंपरा किसी जाति या धर्म से जुड़ी नहीं है बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ी हुई है.
किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में विक्ट्री स्क्वायर बना हुआ है, इस विक्ट्री विक्ट्री स्क्वायर की अहमियत वही है जो भारत इंडिया गेट या विजय चौक की है. विक्ट्री स्क्वायर को मदर मेमोरियल भी कहा जाता है. सोवियत संघ के कई मुल्कों में इस तरह के मेमोरियल देखने को मिलते हैं. बिश्केक में बना ये मेमोरियल दूसरे विश्वयुद्ध में मारे गए सैनिकों की याद में बनाया गया है.
बिश्केक में इस मेमोरियल से जुड़ी एक बेहद रोचक परंपरा है. दरअसल यहां जब किसी भी धर्म या जाति से जुड़े व्यक्ति की शादी होती है तो वो अपनी पत्नी के साथ आशीर्वाद के लिए इस मेमोरियल पर आते हैं. ऐसे समय में जब पूरे विश्व में राष्ट्रवाद को लेकर बहस चल रही है उस समय राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़े इस मेमोरियल पर शादी समारोह से पहले आना किर्गिस्तान की बेहद रोचक पंरपरा है.
दूल्हा-दुल्हन की गाड़ी के लिए ऐसी अनोखी कार का इस्तेमाल किया जाता है. इसी कार से नया जोड़ा विक्ट्री मेमोरियल आता है. आशीर्वाद लेने के बाद दूल्हा दुल्हन को गोद में उठा कर कार तक ले जाता है. स्थानीय लोगों के अनुसार यह परंपरा बताती है जाति धर्म से अलग देश की पहचान होती है. इसीलिए नए जोड़े यहां आते हैं और उन लोगों को याद करते हैं जिन्होंने जाति धर्म से ऊपर उठ कर इस जमीन के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी.
य़हां देखें- बिश्केक से एबीपी न्यूज़ संवाददाता प्रणय उपाध्याय की ये रिपोर्ट