Brexit Trade Deal: ब्रिटेन-यूरोपीय संघ के बीच हुआ मुक्त व्यापार करार
ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच शुरुआती मुक्त व्यापार करार के बाद बोरिस जॉनसन ने खुशी का इजहार किया.
ब्रसेल्स: ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच शुरुआती मुक्त व्यापार करार (एफटीए) हो गया है. इससे सीमापार व्यापार के लिए नए साल में किसी तरह की अव्यवस्था पैदा नहीं होगी और ब्रेक्जिट गतिरोध से वर्षों से प्रभावित कंपनियों को कुछ राहत मिल सकेगी. ब्रिटेन के ब्रेक्जिट से अलग होने से एक सप्ताह पहले बृहस्पतिवार को इस मामले में कामयाबी मिली.
इस डील के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने खुशी का इजहार किया. उन्होंने अपनी तस्वीर के साथ ट्वीट किया, 'सौदा हो गया.''
The deal is done. pic.twitter.com/zzhvxOSeWz
— Boris Johnson (@BorisJohnson) December 24, 2020
डाउनिंग स्ट्रीट ने बयान में कहा, ‘‘हमने ब्रेक्जिट को पूरा कर लिया है और अब हम स्वतंत्र व्यापार करने वाले देश की तरह अपने पास उपलब्ध अवसरों का पूरा फायदा ले सकते हैं और दुनिया के अन्य भागीदारों के साथ व्यापार करार कर सकते हैं.’’
डाउनिंग स्ट्रीट ने घोषणा की, ‘‘हमने शून्य शुल्क और शून्य कोटा के आधार पर पहले मुक्त व्यापार करार पर हस्ताक्षर कर लिए हैं. यह दोनों पक्षों द्वारा किया गया सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापार करार है. इसके तहत 2019 में 668 अरब पाउंड का व्यापार आता है.’’
डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि ब्रिटेन ने अपने पैसा, सीमा, कानून, व्यापार और मछली पकड़ने के जल क्षेत्र का नियंत्रण फिर हासिल कर लिया है.’’ वहीं दूसरी ओर यूरोपीय संघ ने कहा कि यह एक अच्छा करार है, जो एक ‘लंबा और चौड़ा रास्ता दिखाता है.’’
यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने ब्रेसल्स में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अंतत: हम करार पर पहुंच गए. यह एक निष्पक्ष और जिम्मेदार करार है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ईयू के नियमों और मानदंडों का सम्मान होगा. ब्रिटेन लंबे समय तक हमारा सहयोगी रहा. अब भविष्य की ओर देखने का समय है क्योंकि आर्थिक ब्लॉक के साथ संबंधों में अब ब्रिटेन ‘तीसरा देश’ होगा.’’
अब ब्रिटेन के यूरोपीय संघ की आर्थिक संरचना से बाहर निकलने से पहले इस करार को मंजूर और अनुमोदित करने की ‘दौड़’ होगी. ब्रिटेन और यूरोपीय संसद दोनों को इस करार पर मतदान करना होगा. दोनों पक्षों के बीच महीनों तक इस करार को लेकर वार्ता में कई बार तनाव की स्थिति बनी.
दोनों पक्षों के बीच मुख्य मुद्दा निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा नियम, भविष्य के विवादों को निपटाने की व्यवस्था और मछली पकड़ने के अधिकार को लेकर था. अंतिम बाधा ब्रिटेन के जल में यूरोपीय संघ की नावों के जाने के अधिकार को लेकर थी, जिसे बाद में सुलझा लिया गया. हालांकि, 27 देशों के ब्लॉक और उसके पूर्व सदस्य के बीच भविष्य के संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण पहलू अभी सुलझे नहीं हैं.
भारत ने कहा, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का स्वागत करने को लेकर आशान्वित