हाथरस-बलरामपुर की घटना पर UN अधिकारी ने टिप्पणी करने के साथ जताई चिंता, भारत ने बताया ‘गैरजरूरी’
उत्तर प्रदेश के हाथरस-बलरामपुर की घटनाओं पर UN की स्थाई समन्वयक की टिप्पणी को भारत ने नजरअंदाज करने के लिए कहा है. सोमवा को इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ऐसे मामलों से काफी गंभीरता से निपटता है.
उत्तर प्रदेश के हाथरस और बलरामपुर में हुए कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले ने एक बार फिर महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के मुद्दे को गरमा दिया है. जहां पूरा देश इन घटनाओं से सिहर उठा है तो वहीं अब इन मामलों की गूंज संयुक्त राष्ट तक पहुंच गई है.
यूएन की टिप्पणी पर भारत का जवाब
भारत में संयुक्त राष्ट्र की रेसिडेंट कॉर्डिनेटर रेनेटा द्वारा भी हाथरस-बलरामपुर की घटना पर टिप्पणी की गई है.जिस पर विदेश मंत्रालय ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए सोमवार को कहा कि, ‘किसी बाहरी संस्था की टिप्पणी को नजरअंदाज करना ही उचित होगा’ क्योंकि मामलों में अभी जांच जारी है. इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत सरकार इन मामलों को लेकर काफी गंभीर है.
क्या कहा गया है संयुक्त राष्ट्र के बयान में
संयुक्त राष्ट्र की रेसिडेंट कॉर्डिनेटर रेनेटा ने भारत में महिला और बच्चियों के खिलाफ हो रही यौन अपराध की घटनाओं पर ध्यान आकर्षित करते हुए अपने बयान में कहा है कि, उत्तर प्रदेश के हाथरस और बलरामपुर में हुई घटनाएं याद दिलाती हैं कि किस तरह समाज में अभी भी जाति और लिंग के आधार पर नफरत है. अपने बयान में उन्होने कहा कि यह बेहद जरूरी है कि प्रशासन सुनिश्चित करे कि दोषियों को जल्द से जल्द न्याय की जद में लाया जाए और पीड़ित परिवारों को समय पर न्याय पाने के लिए सशक्त बनाया जाए, इसके साथ ही उन्हे सामाजिक समर्थन, काउंसिलिंग, स्वास्थ्य सुविधा और पुनर्वास की सुविधा भी मुहैया कराई जाए.
अपने बयान में वे आगे कहती हैं कि, भारत में जिस तरह महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ यौन हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं उसे लेकर संयुक्त राष्ट्र काफी दुखी व चिंतित है.
विदेश मंत्रालय ने दिया जवाब
यूएन की रेसिडेंट कॉर्डिनेटर के इस बयान पर ही भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा जवाब दिया गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि ये सभी गैरजरूरी बयान हैं. उन्होने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी को ये ध्यान में रखना चाहिए कि भारत में सरकार इस तरह के मामलों को काफी गंभीरता से लेती है. श्रीवास्तव ने आगे कहा कि लोकतंत्र होने के नाते ‘‘हमारे पास समाज के सभी तबकों को न्याय देने का ऐसे रिकॉर्ड है जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है.’’