United Nation: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शुक्रवार (10 मई) को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का पूर्ण सदस्य बनाने के फिलिस्तीन का भारी समर्थन किया और इसे इसमें शामिल होने के लिए योग्य माना. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को "मामले पर अनुकूल तरीके से पुनर्विचार करने" की सिफारिश की.


न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र के राजदूत रियाद मंसूर ने मतदान से पहले कहा कि हम शांति चाहते हैं, हम आजादी चाहते हैं. हां ये वोट फिलिस्तीनी अस्तित्व के लिए वोट है, यह किसी के खिलाफ नहीं है. यह शांति में एक निवेश है. 


फिलिस्तीनी 'शांति-प्रेमी' नहीं- गिलाद एर्दान


इस बीच फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र के राजदूत रियाद मंसूर के बाद बोलने वाले संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दान ने अपने साथी राजनयिकों से कहा, "जब तक आप में से बहुत से लोग 'यहूदी से नफरत' करते हैं, तब तक आपको वास्तव में परवाह नहीं है कि फिलिस्तीनी 'शांति-प्रेमी' नहीं हैं."


इस दौरान उन्होंने असेंबली पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के टुकड़े-टुकड़े करने दिए. इसके लिए उन्होंने बयान के दौरान चार्टर की एक कॉपी को खत्म करने के लिए एक छोटे थ्रेडर का इस्तेमाल किया. उधर, एर्दान ने कहा, "तुम्हें शर्म आनी चाहिए.






वोटिंग के दौरान 25 देश रहे नदारद


193-सदस्यीय वाली महासभा की ओर से किया गया वोट संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनने के लिए फ़िलिस्तीनी प्रयास के समर्थन का एक सर्वे था. एक ऐसा कदम जो प्रभावी रूप से एक फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देगा. दरअसल, अमेरिका की ओर से पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो करने के बाद असेंबली ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसके पक्ष में 143 वोट पड़े और विरोध में 9 वोट पड़े, जिसमें अमेरिका और इजराइल भी शामिल थे. जबकि 25 देश अनुपस्थित रहे. यह फिलिस्तीनियों को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता नहीं देता है, बल्कि उन्हें इसमें शामिल होने के लिए योग्य मानता है.


फिलिस्तीन को सदस्यता में किया जाना चाहिए शामिल- संयुक्त राष्ट्र महासभा


उधर, महासभा का प्रस्ताव ये तय करता है कि फिलिस्तीन को सदस्यता मिलनी चाहिए" और यह "सिफारिश करता है कि सुरक्षा परिषद इस मामले पर अनुकूल तरीके से पुनर्विचार करे. संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता के लिए फ़िलिस्तीन का दबाव गाजा पट्टी में इज़रायल और फिलिस्तीनी आतंकवादियों हमास के बीच युद्ध के सात महीने बाद आया है, जिसे इज़रायल कब्जे वाले वेस्ट बैंक में बस्तियों का विस्तार कर रहा है, जिसे संयुक्त राष्ट्र अवैध मानता है.
 


ये भी पढ़ें: Lok Sabha Elections 2024: केजरीवाल ने की PM को लेकर भविष्यवाणी, अमित शाह बोले- BJP के संविधान में नहीं लिखा कि मोदी...