संयुक्त राष्ट्र (UN) के विश्व मौसम संगठन (WMO) ने अपनी ग्लोबल क्लाइमेट की प्रोविजनल रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा गया है कि पिछले छह साल (2015 से 2020 तक) आधुनिकतम रिकॉर्ड 1850 में शुरू होने के बाद से सभी छह साल सबसे गर्म साल बनने के लिए तैयार हैं. डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेट्टेरी तालास ने कहा है कि 2020 दुर्भाग्य से हमारी जलवायु के लिए एक और असाधारण वर्ष रहा है.
तालास ने कहा है कि साल 2020 में औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.2 C ऊपर रहने की उम्मीद है. वहीं 2020 में हमने भूमि, समुद्र और विशेष रूप से आर्कटिक में नए चरम पर तापमान को देखा. वहीं पांच मौकों में से एक मौका ऐसा आएगा, जब साल 2024 तक वैश्विक तापमान में अस्थाई वृद्धि 1.5 C से ज्यादा हो जाएगी.
ला नीना का असर नहीं
तालास के मुताबिक ला नीना का असर भी इस साल नहीं देखने को मिला. वैश्विक तापमान पर ठंडा असर डालने वाले ला नीना इस साल गर्मी रोकने में नाकाम हुआ है. तालास का कहना है कि ला नीना के बावजूद साल 2020 साल 2016 में पड़ी गर्मी के रिकॉर्ड के काफी पास पहुंच चुका है.
बदलाव संभव
विश्व मौसम संगठन (WMO) का कहना है कि इस लिहाज से साल 2020 अब तक का दूसरा सबसे गर्म साल था. हालांकि संगठन ने कहा है कि टॉप तीन सालों के बीच का अंतर काफी कम है और इस साल का पूरा डेटा आने तक मौजूदा स्थिति में बदलाव भी देखा जा सकता है.
महासागरों पर बुरा असर
वहीं WMO की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महासागरों का गर्म होना रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल 2020 में महासागरों का 80 फीसदी से ज्यादा हिस्सा ग्रीष्म लहर की चपेट में रहा है. जिसके कारण सामुद्रिक पारिस्थितिकी तंत्र पर काफी बुरा असर देखने को मिला है.
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