चीन के वर्चस्व का मुकाबला करने के लिए अमेरिका की बड़े पैमाने पर खर्च करने की योजना है. सीनेट के मुताबिक, चीन अमेरिका का सबसे बड़ा भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक चुनौती है. इसकी वजह से अमेरिका ने 'द यूनाइटेड स्टेट्स इनोवेशन एंड कंपीटीशन एक्ट 2021 बिल' पास किया है ताकि करीब 250 बिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च कर अमेरिका को तकनीकी शोध और उत्पादन में टॉप पर रखा जा सके.


इस बिल रिपब्लिकन्स और डेमोक्रेट्स दोनों में आम सहमति बनी है. ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब इस तरह से दोनों पार्टियों की सहमति किसी चीज पर बनती हो. 100 सदस्यों वाले सीनेट में 68 वोट इसके पक्ष में पड़े जबकि 32 इसके खिलाफ. एक्सपर्ट का कहना है कि वोट यह जाहिर करता है कि कैसे दो राजनीतिक पार्टियां बीजिंग के आर्थिक और सैन्य महत्वाकांक्षा की काट में एकजुट हैं.


समर्थकों का यह कहना है कि अमेरिकी इतिहास में यह सबसे बड़े औद्योगिक पैकेज में से एक है और पिछले कई दशकों में वैज्ञानिक शोध में यह देश में सबसे बड़ा निवेश है. बिल का उद्देश्य कई तरह के उपायों के साथ चीन से प्रतिस्पर्धा में अमेरिका को मजबूत करना है.


चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सीनेट ने 190 बिलियन डॉलर को मंजूरी दी है ताकि यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों में व्यापक पैमाने पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर काम हो पाए और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन और अन्य टेक्नोलॉजी के इनोवेशन पर खर्च किया जा सके. इसके साथ ही, चीन के स्पेशल इकोनोमिक जोन्स के अमेरिकन वर्जन को बनाने पर 10 बिलियन डॉलर निवेश किए जाएं.


इस बिल में चीन को लेकर भी कई प्रावधान किए गए हैं, जिनमें सोशल मीडिया ऐप ‘टिकटॉक’ को सरकार डिवाइस में डॉनलोड करने पर प्रतिबंध शामिल है. इस कानून के अंतर्गत चीन कंपनियों की तरफ से ड्रोन की खरीद या उसको बेचने पर बैन रहेगा. इसके अलावा, अमेरिकी साइबर हमले या फिर अमेरिकी फर्म्स के बौद्धिक संपदा की चोरी में शामिल चीनी संगठनों को भी प्रतिबंध झेलना पड़ेगा.


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