Yale University: कैसे येल और ऑक्सफोर्ड अब भारत में अपना कैंपस खोल सकते हैं
Stanford University: विदेशी संस्थानों को भारत में कैंपस स्थापित करने की अनुमति देने के प्रयास सबसे पहले 1995 में किया गया था. उस समय संसद में बिल पेश किया गया था.

University Grants Commission: हर छात्र का सपना येल और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने का होता है, लेकिन सभी के पास इतने पैसे नहीं होते कि वो अमेरिका जाकर इन यूनिवर्सिटी में पढ़ सकें. मगर, आपका येल और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने का सपना जल्द ही पूरा हो सकता है. दरअसल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने मसौदा पेश करके घोषणा की है कि इन विश्वविद्यालयों के कैंपस भारत में खोले जा सकते हैं.
कैंपस खोलने के सभी नियम तैयार
यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने डॉफ्ट रेगुलेशन जारी करते हुए कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के मुताबिक आयोग ने भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में कई कदम उठाए हैं. सरकार ने भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों का परिसर स्थापित करने और परिचालन करने से संबंधी नियम तैयार कर लिए गए हैं."
प्रो. एम. जगदीश कुमार ने बताया, "ग्लोबल रैंकिंग में ओवरऑल टॉप 500 में जगह बनाने वाली यूनिवर्सिटीज ही भारत में अपना कैंपस खोल सकती हैं. अगर ओवरऑल टॉप 500 में नहीं है लेकिन सब्जेक्ट्स या किसी स्ट्रीम में टॉप 500 में है तो भी आवेदन कर सकती हैं."
10 साल के लिए कैंपस स्थापित करने की मंजूरी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अंतिम मसौदे को कानून बनने से पहले मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जाएगा. यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार के हवाले से एनबीटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि शुरुआत में 10 साल के लिए कैंपस स्थापित करने की मंजूरी दी जाएगी और उसके बाद इसे बढ़ाया जाएगा. जब किसी विदेशी संस्थान को कैंपस शुरू करने की मंजूरी मिल जाएगी तो इस मंजूरी मिलने के दो साल के अंदर भारत में कैंपस स्थापित करना होगा.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने भारत में विदेशी यूनिवर्सिटी की एंट्री के लिए नियमों में बड़ा परिवर्तन करने का फैसला लिया है. मोदी सरकार का जोर भारतीय छात्रों को सस्ते दाम में विदेशी यूनिवर्सिटीज की उच्च शिक्षा देने पर है. केंद्र सरकार की नई पहल से देश में ही युवाओं को भी विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने का मौका मिल सकेगा.
1995 में सबसे पहले बिल पेश हुआ
बता दें कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार से पहले भी भारत में इन विश्वविद्यालयों के कैंपस खोलने के प्रयास किए गए थे. विदेशी संस्थानों को भारत में कैंपस स्थापित करने की अनुमति देने के प्रयास सबसे पहले 1995 में किया गया था. उस समय संसद में बिल पेश किया गया था, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ सका. इसके बाद 2005-2006 में भी, ऐसा मसौदा केवल कैबिनेट स्तर तक ही जा सका था.
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