संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने म्यामांर में सेना द्वारा आपातकाल की घोषणा किए जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. संयुक्त राष्ट्र ने हिरासत में ली गई आंग सान सू ची और अन्य नेताओं को तत्काल रिहा करने की अपील की है. यहां सत्ता पर सेना के कब्जा करने के एक दिन बाद संसद के सैकड़ों सदस्यों को उनके सरकारी आवास में नजरबंद कर दिया गया और उसके बाहर सैनिक तैनात कर दिए गए.
यूएन ने अपने बयान में कहा, "सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने एक फरवरी को सेना द्वारा म्यांमार में आपातकाल की घोषणा और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की, राष्ट्रपति विन मिंट और अन्य सहित सरकार के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई पर गहरी चिंता व्यक्त की है."
बता दें कि म्यामांर में सेना ने तख्तापलट कर दिया है और शीर्ष नेता आंग सान सू ची समेत उनकी पार्टी के कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया. सेना के स्वामित्व वाले 'मयावाडी टीवी' ने सोमवार सुबह घोषणा की थी कि सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है.
"म्यामांर के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है भारत"
भारत ने कहा है कि वह पड़ोसी देश म्यामांर में घटनाक्रम पर करीब से नजर रखे हुए है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा, "भारत और म्यामां पड़ोसी हैं, जिनके बीच करीबी सांस्कृतिक एवं दोनों देशों की जनता के स्तर पर संबंध है, जिन्हें व्यापार, आर्थिक, सुरक्षा एवं रक्षा संबंधी आदान-प्रदान से मजबूती मिलती है. भारत के लिए मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य होने के नाते भी महत्व रखता है."
भारत ने 'गंभीर चिंता' जताई और कहा कि देश में कानून का शासन तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल रखी जानी चाहिए. अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "भारत ने दवाएं, जांच किट और टीके उपलब्ध कराकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में म्यामांर को सहायता उपलब्ध कराई है. हम महामारी का आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव कम करने में म्यामांर के लोगों की लगातार मानवीय मदद करने को कटिबद्ध हैं."
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