तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के हालात पर UNSC की आपात बैठक आज, एस जयशंकर करेंगे अध्यक्षता
बड़ा सवाल यह भी है बैठक में अफगानिस्तान की नुमाइंदगी कौन करेगा. किस तरह से बैठक में अफगानिस्तान का पक्ष रखा जाएगा. या फिर अफगानिस्तान पर होने वाली चर्चा में उसका पक्ष ही नहीं होगा.

नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो चुका है. तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के हालात को लेकर पूरी दुनिया में चिंता का माहौल है. अफगानिस्तान के हालात को लेकर भारतीय समय के मुताबिक शाम साढ़े सात बजे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक होने वाली है. इसकी अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे.
रूस की तरफ से इस बैठक की मांग की गई थी. परिषद के राजनयिकों ने रविवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस परिषद के सदस्यों को राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद के ताजा हालात से अवगत कराएंगे.
विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले से ही न्यू यॉर्क में मौजूद हैं. लेकिन जिस तरह से बीते 24 घंटों के भीतर अफगानिस्तान में घटनाक्रम बदला है, उस लिहाज से यह बैठक बेहद अहम हो जाती है. इस बैठक से पहले एक बड़ा सवाल यह भी है बैठक में अफगानिस्तान की नुमाइंदगी कौन करेगा. किस तरह से बैठक में अफगानिस्तान का पक्ष रखा जाएगा. या फिर अफगानिस्तान पर होने वाली चर्चा में उसका पक्ष ही नहीं होगा.
एक दिन पहले रूस की तरफ से बेहद सख्त बयान आया था. रूस ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है. रूस का कहना है कि अमेरिकी कुप्रबंधन के कारण आज अफगानिस्तान इस हालत में पहुंच गया है.
अमेरिका की नीतियों को लेकर अब अमेरिका के भीरत भी सवाल उठने लगे हैं. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि ये अमेरिका की सबसे बड़ी हार है. हालांकि अमेरिका विदेश विभाग ने इस सभी आरोपों से इनकार किया है.
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका अनंतकाल तक अफगानिस्तान में नहीं रह सकता था. उसे बाहर निकलना था. अमेरिका ने अफगानिस्तान की फौज को खड़ा करने में पूरी मदद की. लेकिन अगर उन्होंने लड़ाई नहीं लड़ी तो इसके लिए अमेरिका को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
इस पूरे घटना क्रम को देखते हुए भारत की अध्यक्षता में होने वाली सुरक्षा परिषद की यह बैठक बेहद अहम हो जाती है. एक और बड़ी है कि अफगानिस्तान जैसे मुद्दे को लेकर 15 दिन के भीतर दो सुरक्षा परिषद की बैठक होने जा रही है.
अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. कुछ ही दिन पहले, एक अमेरिकी सैन्य आकलन ने अनुमान लगाया था कि राजधानी के तालिबान के दबाव में आने में एक महीना लगेगा.
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