Afghanistan News: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के मद्देनजर आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की भारत की अध्यक्षता में बैठक हुई. अफगानिस्तान के हालात पर बुलाई गई इस आपात बैठक में अफगानिस्तान के प्रतिनिधि गुलाम एम इसाकजई मौजूद थे.
भावुक दिख रहे इसाकजई ने कहा कि आज मैं अफगानिस्तान के लाखों लोगों की ओर से बोल रहा हूं. मैं उन लाखों अफगान लड़कियों और महिलाओं की बात कर रहा हूं, जो स्कूल जाने और राजनीतिक-आर्थिक और सामाजिक जीवन में भाग लेने की स्वतंत्रता खोने वाली हैं.
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि इसाकजई ने कहा, “तालिबान दोहा और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने बयानों में किए गए अपने वादों और प्रतिबद्धताओं का सम्मान नहीं कर रहा है. निवासी पूर्ण भय में जी रहे हैं.”
वहीं यूएन के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि मैं सभी पक्षों से विशेष रूप से तालिबान से आग्रह करता हूं कि वे जीवन की रक्षा के लिए अत्यधिक संयम बरतें और यह सुनिश्चित करें कि मानवीय जरूरतों को पूरा किया जा सके.
बता दें कि अफगानिस्तान की राजधानी की तरफ तालिबान के लड़ाकों को बढ़ता देख राष्ट्रपति अशरफ गनी देश से बाहर चले गए. लड़ाकों ने पूरे अफगानिस्तान पर पूरा नियंत्रण कर लिया है. इसके साथ ही दो दशक लंबे उस अभियान का आश्चर्यजनक अंत हो गया जिसमें अमेरिका और उसके सहयोगियों ने देश में बदलाव लाने की कोशिश की थी.
राष्ट्रपति ने देश छोड़ने के बाद फेसबुक पर लिखा है कि अगर फिर से अनगिनत संख्या में देश के नागरिक शहीद होते और काबुल में विध्वंस ही विध्वंस होता तो कुछ 60 लाख की आबादी वाले शहर के लिए उसका परिणाम बेहद घातक होता. तालिबान ने मुझे हटाने का फैसला कर लिया था, वे यहां काबुल और काबुल के लोगों पर हमला करने आए हैं. ऐसे में रक्तपात से बचने के लिए, मुझे वहां से निकलना ही मुनासिब लगा.