Russia crude oil: रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से लगातार पश्चिमी देशों ने रूस पर नए-नए प्रतिबंध लगाए. अमेरिका ने स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम से रूस को बाहर कर दिया था, अमेरिकी नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने खूब प्रयास किया कि रूस तेल की बिक्री नहीं कर सके. इन सबके बावजूद भारत ने जमकर रूस से तेल की खरीद की. अब भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने अजीबोगरीब बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत ने रूस से तेल इसलिए खरीदा क्योंकि अमेरिका चाहता था कि रूस से कुछ देश तेल खरीदते रहें. एरिक गार्सेटी ने कहा कि हम नहीं चाहते थे कि वैश्विक पटल पर तेल का दाम बढ़े.


अमेरिकी राजदूत के बयान पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि लंबे समय से विश्व में चर्चा रही है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से तेल खरीद रहा है. माना जा रहा है कि भारत अमेरिका के दबाव में नहीं आया, जिसकी वजह से गार्सेटी इस तरह का बयान देकर अपने देश की छवि बनाने में लगे हैं. भारत के विदेश मंत्री ने जब भी पश्चिमी देशों की यात्रा कि इस दौरान रूस से तेल खरीदने का मुद्दा हर बार उठा. इस दौरान भारत पर नैतिक दबाव बनाने का प्रयास किया गया, जिससे भारत रूस से तेल न खरीदे.






गार्सेटी बोल रहे हैं झूठ ?
विशेषज्ञों का मानना है कि अब अमेरिकी राजदूत का यह कहना कि अमेरिका चाहता था कि भारत रूस से कच्चा तेल लेता रहे यह किसी 'झूठ' से कम नहीं है, क्योंकि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर लगातार कहते रहे हैं कि रूस से तेल न लेने का भारत पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है. एस जयशंकर ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि 'हमपर दबाव बनाया जा रहा है कि हम रूस से तेल न लें. माल लीजिए हम झुक जाते और रूस से तेल नहीं लेते तो आप बताइये भारत में तेल का दाम कितना बढ़ जाता.' विदेश मंत्री ने बताया कि अगर भारत रूस से तेल नहीं लेता तो पेट्रोल की कीमत 20 रुपये प्रति लीटर बढ़ जाती. 






भारत रूस से नहीं खरीदता तेल तो बढ़ जाती कीमत
इसके अलावा म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में एक पैनल डिस्कसन के दौरान भी एस जयशंकर से रूस से तेल खरीदने को लेकर सवाल किया गया था, इस दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी मंच पर मौजूद थे. अब सवाल उठ रहा है कि अगर अमेरिका की यही नीति थी तो उस समये अमेरिकी विदेश मंत्री क्यों नहीं बोले? विशेषज्ञों का मानना है कि आज जो बात गार्सेटी कर रहे हैं, यह बात एस जयशंकर पहले से करते आ रहे हैं. विदेश मंत्री पहले भी कह चुके हैं कि वह पश्चिमी देशों को समझाते हैं कि अगर भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा तो वैश्विक पटल पर कच्चे तेल की कीमत काफी बढ़ जाएगी.  


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