US Ambassador to India: 52 वर्षीय एरिक गार्सेटी (Eric Garcetti) भारत में अमेरिका के स्थायी राजदूत होंगे. गार्सेटी लॉस एंजिलिस के मेयर रहे हैं. अमेरिकी राजदूत के पद के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने ही उन्हें नॉमिनेट किया था, अब उनकी नियुक्ति प्रक्रिया को अमेरिकी संसद के सीनेट (अपर हाउस) ने मंजूरी दे दी है.
स्थायी राजदूत के लिए प्रक्रिया हुई तेज
इससे पहले बाइडेन के राष्ट्रपति कार्यकाल के शुरुआती दो सालों में गार्सेटी के नॉमिनेशन को अमेरिकी संसद से मंजूरी नहीं मिल सकी थी. इस जनवरी (2023) में बाइडन ने गार्सेटी को दोबारा इस पद के लिए नॉमिनेट किया. नॉमिनेशन के बाद यूएस फॉरेन रिलेशन कमेटी के 13 मेंबर्स ने गार्सेटी के समर्थन में वोट डाला. इनमें रिपब्लिकन पार्टी के दो सीनेटर (सांसद)- टोड यंग और बिल हैगर्टी शामिल थे. इस दौरान कमेटी ने कहा- भारत में स्थायी राजदूत रखना राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है.
पिछले दो साल से खाली है यह पद
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अमेरिकी राजदूत का पद पिछले दो साल से खाली है. यहां अब तक अमेरिका का स्थाई राजदूत नहीं था. ऐसे में बाइडेन सरकार चाहती है कि भारत में जल्द से जल्द अमेरिकी राजदूत की नियुक्ति हो. इसके लिए अमेरिकी संसद के सीनेट (अपर हाउस) ने 'क्लोचर मोशन' अपनाया है, जो दर्शाता है कि सत्तारूढ़ डेमोक्रेट्स को इस संबंध में बहुमत हासिल है. दरअसल 'क्लोचर' एक सीनेट प्रक्रिया है जो लंबित प्रस्ताव पर विचार के लिए समय को सीमित करती है.
दोनों देशों के रिश्तों में उथल-पुथल का दौर रहा
अमेरिकी विदेश नीति के एक्सपर्ट्स का कहना था कि भारत जैसे अहम देश में स्थायी राजदूत के न होने से दोनों देशों के बीच रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं. राजदूत को अहम मुद्दों पर स्थानीय नजरिए की समझ होती है, जिससे दोनों देशों के बीच विवादों के हल खोजने में मदद मिलती है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच राजदूत की कमी से कारोबार में दिक्कतें आती हैं. अमेरिका ने ए एलिजाबेथ जोन्स को अक्टूबर 2022 में भारतीय दूतावास की अस्थायी प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया था. कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्थायी राजदूत न होने से ये दौर अमेरिका-भारत संबंधों का सबसे अधिक उथल-पुथल वाला रहा है.
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