कोरोना की लड़ाई में भारत से पिछड़ा अमेरिका, 1.80 लाख मौत के बाद अब प्लाज्मा थेरेपी से इलाज को दी मंजूरी
प्लाज्मा संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के खून से अलग कर निकाला जाता है. इस प्लाज्मा को दो संक्रमित मरीजों को दिया जा सकता है.
वॉशिंगटन: कोरोना महामारी से लड़ाई में अमेरिका भारत से काफी पीछे चल रहा है. कोरोना वायरस से लड़ाई में कारगर प्लाज्मा थेरेपी से भारत में करीब दो महीने पहले से ही सफल ईलाज चल रहा है. लेकिन अमेरिका में एक लाख 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत के बाद अब प्लाज्मा थेरेपी से ईलाज की मंजूरी दी गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि देश में संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा का आपातकालीन उपयोग किया जाएगा. दावा किया जा रहा है कि इससे 30%-50% तक संक्रमित मरीजों की जान बचाई जा सकती है.
अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार और एफडीए कमिश्नर स्टीफन हैन ने कहा, यह प्लाज्मा संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों के खून से निकाला जाएगा और संक्रमित मरीज दिया जाएगा, जिससे उसके ठीक होने की संभावना बढ़ जाएगी.
क्या होता है प्लाज्मा थेरेपी? प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके व्यक्तियों के खून से प्लाज्मा निकालकर दूसरे कोरोना वायरस संक्रमित रोगी को चढ़ाया जाता है. दरअसल संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर में उस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है और 3 हफ्ते बाद उसे प्लाज्मा के रूप में किसी संक्रमित व्यक्ति को दिया जा सकता है ताकि उसके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगे.
प्लाज्मा संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के खून से अलग कर निकाला जाता है. एक बार में एक संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर से 400ml प्लाज्मा निकाला जा सकता है. इस 400ml प्लाज्मा को दो संक्रमित मरीजों को दिया जा सकता है.
ईलाज कैसे किया जाता है स्वस्थ हो चुके मरीज के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है जो उस वायरस से लड़ने के लिए होती है. एंटीबॉडी ऐसे प्रोटीन होते हैं जो इस वायरस को डिस्ट्रॉय या खत्म कर सकते हैं. वो एंटीबॉडी अगर प्लाज्मा के जरिए किसी मरीज को चढ़ाएं तो वह एंटीबॉडी अभी जो मरीज है जो उसके शरीर में मौजूद वायरस को मार सकती है.
प्लाज्मा थेरेपी कोई नई थेरेपी नहीं है. डॉक्टरों का मानना है की ये एक प्रॉमिनेंट थेरपी है जिसका फायदा भी हुआ और कई वायरल संक्रमण में इसका इस्तेमाल भी हुआ है.
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