US Artificial Sun : अमेरिका ने पहली बार एक न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्शन पर कामयाबी पाई है. कैलिफोर्निया के लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी की नेशनल इग्निशन फैसिलिटी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने यह प्रयोग करके दिखाया है. इस प्रयोग का परिणाम यह था कि शुद्ध ऊर्जा पैदा हुई. इस प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्र ने बताया कि शायद अमेरिकी ऊर्जा विभाग मंगलवार को आधिकारिक रूप से इसकी सफलता की घोषणा कर सकता है.
न्यूक्लियर फ्यूजन का दूसरा नाम 'कृत्रिम सूरज' भी होता है. कई वर्षों से रिसर्चर इस पर काम कर रहे हैं. वे सूर्य को ऊर्जा देने वाले फ्यूजन रिएक्शन का लैब में उत्पादन करना चाहते थे. विभाग ने रविवार को घोषणा की थी कि अमेरिकी ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम मंगलवार को एक प्रमुख वैज्ञानिक सफलता की घोषणा करने वाली है.
क्या फायदा है इसका
इस प्रयोग के परिणाम स्वच्छ ऊर्जा की दशकों पुरानी खोज के लिए अहम कदम साबित हो सकती है. कुछ वैज्ञानिकों द्वारा परमाणु फ्यूजन रिएक्शन को भविष्य की एक संभावित ऊर्जा माना जाता है, विशेष रूप से यह बहुत कम न्यूक्लियर कचरा पैदा करता है और कोई ग्रीनहाउस गैस भी नहीं निकलती.
क्या है न्यूक्लियर फ्यूजन?
न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्शन तब होता है जब दो या दो से अधिक परमाणु एक बड़े परमाणु में मिल जाते हैं. इस क्रिया में गर्मी के रूप में भारी ऊर्जा पैदा होती है. परमाणुओं के अलग होने की प्रक्रिया न्यूक्लियर फिजन रिएक्शनह कहलाती है, जिससे पूरी दुनिया में फिलहाल बिजली पैदा की जाती है. उसमें रेडियोएक्टिव कचरा पैदा होता है जबकि न्यूक्लियर फ्यूजन में ऐसा नहीं होता. वर्तमान में दुनियाभर के वैज्ञानिक एक ही लक्ष्य को हासिल करने के लिए अलग-अलग तरीकों से आगे बढ़ रहे हैं.
चीन ने 17 मिनट तक नकली ऊर्जा दी
नेशनल इग्निशन फैसिलिटी प्रोजेक्ट ने न्यूक्लियर फ्यूजन से ऊर्जा पैदा की. न्यूट्रॉन और अल्फा कणों से इकट्ठा की गई ऊर्जा को ऊष्मा के रूप में इकट्ठा किया जाता है. इसी ऊष्मा से बाद में ऊर्जा पैदा की जा सकती है. पिछले साल ब्रिटेन में कुछ वैज्ञानिकों ने निरंतर ऊर्जा की रेकॉर्ड तोड़ मात्रा पैदा की थी. हालांकि यह ऊर्जा सिर्फ 5 सेकेंड तक ही टिक पाई थी. कुछ महीनों पहले चीन ने न्यूक्लियर फ्यूजन की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की थी. हेफेई स्थित चीन के न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर से 1,056 सेकंड या करीब 17 मिनट तक 7 करोड़ डिग्री सेल्सियस ऊर्जा निकली थी.