अमेरिका ने किया अलर्ट, कहा- चीन की हरकतों को हल्के में ना ले भारत, चीनी आक्रामकता हमेशा सिर्फ बयानबाजी नहीं होती
ट्रंप प्रशासन के दक्षिण एशियाई मामलों के प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह के विवाद चीन द्वारा उत्पन्न खतरे की याद दिलाते हैं.
वॉशिंगटन: चीन के साथ सीमा विवाद में अमेरिका ने भारत को समर्थन दिया है. अमेरिका ने कहा है कि भारत-चीन सीमा पर तनाव एक चेतावनी है, चीन की हरकतों को हल्के में ना ले भारत, चीनी आक्रामकता हमेशा केवल बयानबाजी नहीं होती.
ट्रंप प्रशासन में दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो की निवर्तमान प्रमुख एलिस वेल्स ने कहा कि चाहे दक्षिण चीन सागर हो या भारत के साथ सीमा पर हो, हम चीन की ओर से उकसावे और परेशान करने वाला व्यवहार देख रहे हैं. चीन के इस उकसावे और गड़बड़ी फैलाने वाली हरकतों के विरोध में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और आसियान देशों ने एकजुटता दिखाई है.
एलिस वेल्स ने एक ऑनलाइन ब्रीफिंग कार्यक्रम के दौरान भारत-चीन सीमा विवाद पर एक सवाल के जवाब में ये बात कही. दरअसल, नई दिल्ली में सैन्य सूत्रों के मुताबिक, चीनी सैनिकों ने पेंगोंग झील के आसपास के क्षेत्रों में बीते कुछ दिनों से अपनी मौजूदगी बढ़ी है. यहां तक कि झील में अतिरिक्त नाव भी देखे जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में भारत ने भी डेमचौक और दौलत बेग ओल्डी जैसे स्थानों पर अधिक सैनिक तैनात कर दी है.
एलिस वेल्स ने दक्षिण चीन सागर पर चीन के आक्रामक व्यवहार के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर संप्रभुता का दावा करता है. जबकि वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान के इसके उलट दावे हैं.
चीन दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों क्षेत्रीय विवादों में लिप्त है. बीजिंग ने कई द्वीपों का निर्माण और सैन्यीकरण किया है. इन दोनों क्षेत्रों को खनिज, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर बताया जाता है.
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