US-China Relations: अमेरिका और चीन दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से दोनों के बीच शीत युद्ध चल रहा है. ये शीत युद्ध आर्थिक प्रतिबंधों और दूसरे मुल्कों पर अपने प्रभाव के जरिए लड़ा जा रहा है. हालांकि, दोनों के बीच चल रहे इस शीत युद्ध के खत्म होने के आसार नजर आने लगे हैं. इसकी वजह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच होने वाली मुलाकात है. 


दरअसल, बाइडेन ने हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की. इसके बाद दुनिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्तियों के बीच सहमति बनी कि बाइडेन और जिनपिंग की मुलाकात होनी चाहिए. यही वजह है कि जो बाइडेन ने नवंबर में सैन फ्रांसिस्को में होने वाले 'एशिया-पैसेफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन' समिट में हिस्सा लेने के लिए जिनपिंग को न्योता भेजा है. हालांकि, अभी तक जिनपिंग ये नहीं बताया है कि वह इसमें हिस्सा लेने जाएंगे या नहीं. 


मुलाकात को लेकर क्या कहा गया? 


गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस ने बताया कि बाइडेन ने वांग यी और अन्य वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों के साथ वाशिंगटन में मुलाकात की. इसमें दोनों ही देशों ने उच्च-स्तरीय राजनयिक व्यवस्था को बरकरार रखने पर हामी भरी, ताकि रिश्ते अच्छे बने रह सकें. व्हाइट हाउस ने आगे कहा कि दोनों देशों ने दोहराया कि वे नवंबर में सैन फ्रांसिस्को में राष्ट्रपति बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच एक बैठक करवाने की दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं. 


अमेरिकी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि व्हाइट हाउस ने मुलाकात के लिए जिनपिंग के अमेरिका आने के फैसले को बीजिंग के हाथों पर छोड़ दिया है. लेकिन हमारी ओर से इस बैठक की तैयारी शुरू हो गई है. बाइडेन ने वांग को ये भी कहा कि वाशिंगटन और बीजिंग को रिश्तों में प्रतिस्पर्धा को जिम्मेदारी से निभाना चाहिए. बेहतर संबंधों के लिए बाइडेन ने बातचीत के जरिए को खुला रखने की बात भी कही. 


किन मुद्दों पर अमेरिका-चीन में तनाव? 


दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सालों से रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं. एशिया-प्रशांत और उससे आगे प्रभाव को लेकर दोनों देशों में तनाव है. अमेरिका के प्रभाव को करने के लिए चीन रूस के साथ भी मिलकर काम कर रहा है, जिस पर वाशिंगटन बीजिंग से नाराज चल रहा है. दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक कार्रवाइयां भी एक वजह है, जिस पर अमेरिका अपनी नाराजगी जता चुका है. इसे लेकर वह चीन को कई बार चेतावनी भी दे चुका है. 


हालांकि, दोनों के बीच सबसे तनाव वाला मुद्दा ताइवान है, जिस पर चीन अपना दावा करता आया है. ताइवान में लोकतांत्रिक व्यवस्था से सरकार चलती है, मगर चीन का कहना है कि वह उसका हिस्सा है. चीन ताइवान को खुद को मिलाने के लिए जंग का सहारा लेने का भी इशारा कर चुका है. अमेरिका ताइवान का सहयोगी है और वह उसे हथियार के साथ आर्थिक सहायता भी मुहैया कराता है. चीन इससे नाराज होकर अक्सर ही ताइवान की ओर अपने लड़ाकू विमान भेजता रहता है. 


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