नई दिल्ली: कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया में तेजी से फैलता जा रहा है. इस वायरस का असर अब दुनियाभर के कच्चे तेल उत्पादकों पर भी हुआ है जहां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव गिरकर काफी नीचे पहुंच गया है. भारी गिरावट से अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) ने सोमवार को अब तक के इतिहास में अपना सबसे बुरा दिन देखा. कच्चे तेल की कीमतें 90 फ़ीसदी से भी अधिक गिरकर 0 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं.


कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से दुनियाभर में कच्चे तेल की मांग में भारी कमी आई है. सोमवार को ट्रेडिंग के दौर क्रूड ऑयल में 40 फीसद की गिरावट देखने को मिली और यह 10.9 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया जहां अब ये हालत है कि इसने 21 सालों के निचले स्तर को छू लिया है और अब ये 0 डॉलर प्रति डॉलर पहुंच चुकी है. इससे पहले इसमें 50 फीसदी की गिरावट देखी गई थी.


बता दें किडब्ल्यूटीआई का वायदा भाव सोमवार को -$37.63 प्रति बैरल के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. इससे पहले इसकी शुरुआत 18.27 डॉलर प्रति बैरल से हुई थी जो घटते-घटते पहले एक डॉलर के निम्नतम स्तर पर पहुंची और फिर अब ये और गिर गई है.


क्रूड ऑयल में पिछले सप्ताह से ही लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. ओपेक और इसके सहयोगी देशों द्वारा तेल उत्पादन में ऐतिहासिक कटौती के समझौते के बावजूद कच्चे तेल के भाव में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. व्यापारियों ने कहा कि कीमत में यह गिरावट चिंताजनक है क्योंकि मई डिलीवरी के अनुबंधों का निस्तारण सोमवार शाम तक कर दिया जाना है लेकिन कोई निवेशक तेल की वास्तविक डिलीवरी लेना नहीं चाह रहा है.


वहीं कनाडा में कुछ तेल उत्पादों की कीमत में भारी गिरावट देखने को मिली है क्योंकि कनाडा अमेरिका को 10 से 15 डॉलर के बीच एक बैरल देता है. ऐसे में अगर 10 डॉलर प्रति बैरल भी है तो इससे कनाडा को नुकसान हुआ है. इन कंपनियों के पास अब स्टोरेज कैपेसिटी खत्म हो गई है. समस्या ये भी है कि इनके प्रोडक्शन बंद करना भी मुश्किल है क्योंकि एक बार काम बंद होने के बाद दोबारा शुरू करना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसमें पैसे और भी ज्यादा लगेंगे जो महंगा साबित हो सकता है.