US-Saudi Arabia: सऊदी अरब और अमेरिका की दोस्ती से हर कोई वाकिफ है. मध्यपूर्व में सऊदी अरब अमेरिका का प्रमुख सहयोगी है. लेकिन इन दिनों सऊदी और अमेरिका की दूरियां बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. हाल ही में सऊदी ने ब्रिटेन, इटली और जापान के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया. इसकी मुख्य वजह अडवांस्ड लड़ाकू विमान हैं, जिन्हें ब्रिटेन, इटली और जापान मिलकर तैयार कर रहे हैं. 


द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन, जापान और इटली के बीच 'ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम' (GCAP) नाम से एक समझौता हुआ है. इसके तहत नए लड़ाकू विमान और ड्रोन जैसे अन्य हथियार तैयार किए जाने हैं. इस प्रोग्राम के जरिए पहला अडवांस्ड लड़ाकू विमान 2035 तक तैयार कर दिया जाएगा. सऊदी अरब की चाहत भी अडवांस्ड लड़ाकू विमान पाने की है, इसलिए वह GCAP में शामिल होने को इच्छुक है.


सऊदी अरब की GCAP में शामिल होने की कोशिश


GCAP में शामिल होने के लिए सऊदी अरब लंबे समय से कोशिशें कर रहा है. मार्च में रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए ब्रिटेन संग मेमोरेंडम पर साइन भी किया गया. सऊदी अरब के रक्षा मंत्री खालिद बिन सलमान ने तुरंत ट्वीट कर कहा कि अब हम लड़ाकू विमान तैयार करने के प्लान में भी शामिल हो गए हैं. लेकिन फिर ब्रिटेन ने सफाई दी कि मेमोरेंडम के तहत सऊदी अरब को GCAP का हिस्सा नहीं माना जा सकता है.


हालांकि, इससे ये तो साफ हो गया कि सऊदी अरब GCAP का हिस्सा बनना चाहता है. ब्रिटेन का रक्षा मंत्रालय फिलहाल GCAP में शामिल होने की गुजारिशों पर विचार कर रहा है. इस बात की पूरी उम्मीद है कि ब्रिटेन की तरफ से सऊदी को GCAP में शामिल होने के लिए हरी झंडी मिल जाएगी. हालांकि, आखिरी फैसला ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को करना है. 


सऊदी अरब की US से दूरी की वजह क्या है?


दरअसल, सऊदी अरब ने फैसला किया है कि वह अब हथियारों के लिए अमेरिका पर से अपनी निर्भरता कम करेगा. सऊदी अरब अमेरिका का सबसे बड़ा हथियार खरीददार है. पिछले कुछ सालों में हर साल अमेरिका से लगभग 10 अरब डॉलर के हथियार खरीदे गए हैं. अब सऊदी की चाहत स्वदेशी हथियार इंडस्ट्री तैयार करने की है. इसके लिए वह खुद की फैक्ट्रियों में हथियार बनाने में लग गया है. 


सऊदी अरब ये भी जानता है कि उसे अगर खुद को मजबूत करना है, तो हथियारों की खरीददारी के लिए न सिर्फ अमेरिका के इतर देखना होगा, बल्कि खुद भी तैयार करने होंगे. GCAP में उसे हथियार तैयार करने का मौका भी मिलने वाला है. इस हफ्ते ही सऊदी अरब ने तुर्की की डिफेंस कंपनी बायकार टेक के साथ ड्रोन तैयार करने के लिए समझौता किया. 


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