अमेरिका ने 9/11 के मास्टरमाइंड को पहले दी 'राहत', विरोध बढ़ा तो उठाया ये बड़ा कदम
America News: रिपोर्ट के मुताबिक, 31 जुलाई 2024 को अमेरिका ने 9/11 के मास्टरमाइंड खालिद शेख मोहम्मद के साथ एक याचिका समझौता किया था. इसमें मोहम्मद और दो अन्य की मौत की सजा को खत्म करने की बात थी.
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9/11 Mastermind Khalid Sheikh Mohammed: अमेरिका में लोगों के भारी विरोध को देखते हुए रक्षा विभाग ने अक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने शुक्रवार को 9/11 के मास्टरमाइंड खालिद शेख मोहम्मद के साथ उस याचिका समझौते को रद्द कर दिया है जिसमें मृत्युदंड की सजा को खत्म करने की बात थी. अमेरिकी रक्षा विभाग ने यह यू-टर्न समझौते की घोषणा के ठीक दो दिन बाद लिया है.
जानकारी के मुताबिक, अमेरिका ने मोहम्मद और उसके दो कथित सहयोगियों के साथ बुधवार (31 जुलाई 2024) को एक समझौते की घोषणा की थी. इस समझौते के बाद ऐसा लगने लगा था कि अब इन मुख्य आरोपियों के लंबे समय से चल रहे मामले समाधान की ओर बढ़ेंगे, लेकिन 11 सितंबर, 2001 को मारे गए लोगों के कुछ रिश्तेदार इस समझौते के खिलाफ उतर आए और उन्होंने इसका विरोध किया. भारी विरोध को देखते हुए समझौता रद्द कर दिया गया.
क्या कहा अमेरिकी रक्षा सचिव ने?
ऑस्टिन ने मामले की देखरेख करने वाली सुसान एस्केलियर को संबोधित एक ज्ञापन में कहा, "मैंने यह तय किया है कि अभियुक्तों के साथ पूर्व-परीक्षण समझौते में प्रवेश करने के निर्णय के महत्व के मद्देनजर... ऐसे निर्णय की जिम्मेदारी मुझ पर होनी चाहिए." ज्ञापन में कहा गया है, "मैं उपरोक्त संदर्भित मामले में 31 जुलाई, 2024 को आपकी ओर से हस्ताक्षरित तीन पूर्व-परीक्षण समझौतों से हटता हूं." 9/11 के अभियुक्तों के खिलाफ मामले कई वर्षों से उलझे हुए हैं, जबकि अभियुक्त क्यूबा में ग्वांतानामो बे सैन्य अड्डे पर हिरासत में हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा?
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मोहम्मद, वालिद बिन अताश और मुस्तफ़ा अल-हौसावी ने आजीवन कारावास की सज़ा के बदले में षड्यंत्र के लिए दोषी होने की दलील देने पर सहमति जताई थी, बजाय इसके कि उन्हें ऐसे मुक़दमे का सामना करना पड़े जो उन्हें मृत्युदंड की ओर ले जा सकता है. तीनों आरोपियों के मामलों के इर्द-गिर्द कानूनी दांव-पेंच का ज़्यादातर हिस्सा इस बात पर केंद्रित रहा है कि 9/11 के बाद के वर्षों में CIA के हाथों विधिवत यातनाएं झेलने के बाद क्या उन पर निष्पक्ष रूप से मुकदमा चलाया जा सकता है.
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