Ilhan Omar Ousted From US Foreign Affairs Panel: अमेरिकी कांग्रेस वुमन इल्हान उमर को उनकी यहूदी विरोधी टिप्पणी के लिए यूएस की विदेश मामलों (Foreign Affairs Committee) की समिति से हटा दिया गया है. दरअसल वो नई दिल्ली के मामलों में दखलअंदाजी करने के लिए भी खासी मशहूर रही हैं. बीते साल इल्हान ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pok) का दौरा किया और भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पास किया था. आखिर "मैं एक मुस्लिम हूं" कहने वाली इल्हान कौन हैं?


बंटवारे की मानसिकता वाली


यूनाइटेड स्टेट की कांग्रेस वुमन इल्हान उमर एक बंटवारे की मानसिकता रखने वाली शख्स है. वो ऐसी डेमोक्रेट हैं जिनकी अक्सर यहूदी विरोधी (Anti-Semitic) टिप्पणी के लिए तीखी आलोचना की जाती है. उन्होंने 2012 के बाद से इजरायल के खिलाफ कई टिप्पणियां की हैं.अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने गुरुवार को उमर को विदेशी मामलों की समिति से हटाने के लिए वोटिंग की और उन्हें इस पावरफुल पैनल से हटा दिया गया.


हालांकि उनकी पार्टी ने उन्हें हटाने के इस फैसले को रिपब्लिकन के बदले का नाम दिया है. दरअसल एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक सोमाली शरणार्थी रही उमर तीसरी डेमोक्रेट हैं, जिन्हें इस साल रिपब्लिकन ने पैनल से बाहर का रास्ता दिखाया है.




'मुझे निशाना बनाया जा रहा है'


इल्हान उमर ने पद से हटाने के बाद विद्रोही स्वर में कहा, "मैं एक मुस्लिम हूं, मैं एक आप्रवासी हूं और, दिलचस्प बात यह है कि मैं अफ्रीका से हूं. क्या कोई हैरान नहीं है कि मुझे निशाना बनाया जा रहा है? क्या किसी को ये जानकर आश्चर्य नहीं  है कि मुझे किसी तरह अमेरिकी विदेश नीति के बारे में बोलने के लिए काबिल नहीं समझा गया?”


कौन है इल्हान उमर? 


इल्हान उमर सोमालिया (Somalia) में पैदा हुईं. जब वो 8 साल की थी तब इस देश में गृह युद्ध चरम पर था. उनका परिवार इससे बचने के लिए सोमालिया से भाग आया. 1990 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका आने से पहले उनके परिवार ने केन्या में एक शरणार्थी शिविर में चार साल बिताए. इसके बाद साल 1997 में वह अपने परिवार के साथ मिनियापोलिस (Minneapolis) चली गईं. 


उमर के दादाजी ने उसे राजनीति में जाने के लिए प्रेरित किया. हालांकि राजनीति में कदम रखने से पहले वो मिनेसोटा यूनिवर्सिटी में एक सामुदायिक शिक्षिका के तौर पर काम करती थीं. वो हम्फ्री स्कूल ऑफ़ पब्लिक अफेयर्स में पॉलिसी फेलो थीं तो मिनियापोलिस सिटी काउंसिल के लिए एक वरिष्ठ नीति सहयोगी के तौर पर भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी थीं. 


वो जनवरी 2019 में इल्हान उमर ने इतिहास रच डाला था. वो तब कांग्रेस की सदस्य बनने वाली पहली अफ्रीकी शरणार्थी बनीं. वो मिनेसोटा का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली अश्वेत महिला और कांग्रेस के लिए चुनी गई पहली दो मुस्लिम अमेरिकी महिलाओं में से एक रही. 




भारत के बारे में क्या कहा?


इल्हान उमर ने बार-बार भारत के खिलाफ की गई अपनी टिप्पणियों से भारतीयों को नाराज किया है. उनकी ये टिप्पणियां भारत के मामलों में दखलअंदाजी के साथ ही नई दिल्ली की गलत आलोचना है.  दरअसल 22 जून 2022 को उन्होंने भारत में मानव अधिकारों के उल्लंघन की निंदा पर एक प्रस्ताव पेश किया था.


अपने ऑफिस की प्रेस रिलीज में इल्हान ने अपनी मंशा साफ जाहिर की थी. इसके मुताबिक, "भारत में खास तौर से इसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, दलित, आदिवासी और "अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों" को टारगेट कर मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा के लिए एक प्रस्ताव पेश किया." प्रस्ताव में अमेरिकी विदेश मंत्री से अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भारत को "विशेष चिंता के देश" के तौर पर नामित करने को कहा गया था, एक ऐसा कदम जो अधिकतर मामलों में आर्थिक प्रतिबंधों की वजह बन सकता है. 


पीओके का दौरा 
पिछले साल अप्रैल में इल्हान ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pok) का दौरा किया, जिसकी नई दिल्ली ने कड़ी निंदा की. भारत में उनके इस कदम को पाकिस्तान के मौन समर्थन और इलाके में आतंकवाद के लिए उनके देश यूएस के समर्थन के तौर पर देखा गया था. अमेरिका ने भी उमर से खुद को दूर कर लिया.


इल्हान उमर पीओके की अपनी यात्रा के दौरान कहा था कि "कश्मीर को अमेरिका से अधिक ध्यान मिलना चाहिए." अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के परामर्शदाता डेरेक चॉलेट ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया था कि यह एक "अनौपचारिक निजी यात्रा" थी और यह "संयुक्त राज्य सरकार की ओर से किसी नीतिगत बदलाव का प्रतिनिधित्व नहीं करती थी."


अनुच्छेद 370 हटाने पर एतराज जताया
इल्हान उमर 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मोदी सरकार के फैसले की खुलकर आलोचना कर रही थीं. कश्मीर में तालाबंदी और संचार ब्लैकआउट के बाद उमर ने "संचार की तत्काल बहाली" की मांग की थी. इसके साथ ही उमर ने अक्टूबर 2019 में असम में नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) के खिलाफ अपना विरोध जताया.


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