US-India Relation: अमेरिका (America) के सीनेट की विदेश मामलों से संबंधित समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के प्रशासन को रूस के साथ भारत के संबंधों और उसके लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों में आ रही गिरावट पर ध्यान देने की जरूरत है, खासकर तब, जब अमेरिका हिंद-प्रशांत और क्वाड (QUAD) ग्रुप पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.


रिपोर्ट में एक मजबूत और लोकतांत्रिक भारत का समर्थन करने का निर्देश दिया गया है. सीनेट के विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष सीनेटर रॉबर्ट मेनेंडेज ने गुरुवार (9 फरवरी) को कहा कि अमेरिका को सभी संसाधनों और सरकार के पूर्ण समर्थन के साथ हिंद-प्रशांत (रणनीति) की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. स्ट्रेटेजी एलाइनमेंट: द इम्पेरेटिव ऑफ रिसोर्सिंग द इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी नामक रिपोर्ट गुरुवार (9 फरवरी) को जारी की गई.


अमेरिका का नेतृत्व मजबूत होगा


सीनेटर रॉबर्ट मेनेंडेज ने कहा कि मेरा मानना है कि राष्ट्रपति बाइडेन की एक साल पहले जारी की गई हिंद-प्रशांत रणनीति इस सरकार के सारे विचारों को अपनाती है, अगर यह रणनीति सफल हुई तो इससे 21वीं सदी में दुनिया के सबसे अधिक परिणामी और गतिशील क्षेत्र में अमेरिका का नेतृत्व मजबूत होगा.


रिपोर्ट के अनुसार, बाइडेन प्रशासन अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति को पूरी तरह से चीन के खिलाफ न रखने को लेकर सही है. हालांकि इसमें सफलता पाने के लिए अमेरिका को इस प्रतिस्पर्धा की वास्तविकताओं से जूझना होगा और अपने क्षेत्रीय सहयोगियों और भागीदारों की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. अपनी सातवीं और आखिरी सिफारिश में मेजर स्टाफ रिपोर्ट ने एक मजबूत और लोकतांत्रिक भारत का समर्थन करने का निर्देश दिया है.


भारत को एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार मानना सही


अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही बाइडेन प्रशासन का भारत को एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार मानना सही है, लेकिन उसे रक्षा उपकरणों के लिए रूस के साथ भारत के निरंतर संबंधों और निर्भरता की वास्तविक जटिलताओं और हाल ही में उसके लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों में आई गिरावट को दूर करने के लिए काम करना होगा.


रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार बनने की होड़ में लगे रहते हैं. भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने जून 2022 में बताया था कि अमेरिका के साथ व्यापार चीन से अधिक हो गया है, जो अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते घनिष्ठ संबंधों को दर्शाता है.


चीन के कदमों को लेकर अधिक चिंतित 


अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया कि दरअसल, दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंध दो दशकों से अधिक समय से काफी बेहतर स्थिति में हैं. दोनों देशों के संबंध कोल्ड वॉर की दुश्मनी, भारत के परमाणु कार्यक्रम और 1998 में परमाणु परीक्षण को लेकर पैदा मतभेद से ऊपर उठ चुके हैं.


रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के सालों में सुरक्षा संबंध नाटकीय रूप से गहरे हुए हैं, क्योंकि दोनों देश चीन के कदमों को लेकर अधिक चिंतित हैं. इसमें कहा गया है कि अमेरिका और भारत अब प्रमुख रक्षा साझेदार हैं और दोनों देशों ने क्वांटम कंप्यूटिंग, 5जी और 6जी नेटवर्क, अंतरिक्ष, सेमीकंडक्टर, बायोटेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों की दिशा में एक नई पहल की है.


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