US Election 2024: दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं. पांच नवंबर को अमेरिका अपने नए राष्ट्रपति को चुनेगा. राष्ट्रपति के साथ उप-राष्ट्रपति भी चुना जाएगा. अमेरिका में होने वाले प्रेसिडेंट चुनाव पर दुनियाभर की नजर है. एक ऐसे वक्त में जब दुनिया के कई मुल्क़ों में युद्ध की स्थिति बनी हुई है अमेरिका के नए राष्ट्रपति इस समस्या का समाधान कैसे करेंगे इसको लेकर हर देश सोच में है. 


अमेरिका एक ऐसा देश है जिसकी पॉलिसी का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है. कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच की इस सियासी जंग का असर भारत समेत दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ेगा. भारत के रिश्ते बाइडेन सरकार से भी अच्छे रहे और इससे पहले ट्रंप सरकार में भी हालात बेहतर थे. हालांकि विशेषज्ञ भारत के लिए ट्रंप की सत्ता को बेहतर मानते हैं. ऐसे में जानते हैं कि ट्रंप सरकार बनती है तो भारत को क्या फायदे हो सकते हैं?


क्या फायदा होगा अगर ट्रंप बनें राष्ट्रपति


1-ट्रंप की आर्थिक नीतिया भारत के पक्ष में


अमेरिका के साथ आर्थिक रिश्ते कौन सा देश मजबूत नहीं करना चाहता. हर देश की यह इच्छा होती है कि उसके अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते बेहतर हों. आज भारत भी दुनिया का बड़ा बाजार बन गया है. चीन से अमेरिका तक भारत में निवेश का मौका नहीं खोना चाहती. ऐसे में ट्रंप भी यह मौका नहीं छोड़ना चाहेंगे. ट्रंप की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि वैश्विक वित्तीय सेवा समूह नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप की नीतियों के कारण द्विपक्षीय व्यापार में अधिक लाभ मिल सकता है.


दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहतर होंगे


पूरी दुनिया ट्रंप और पीएम मोदी की दोस्ती देख चुकी है. अगर एक बार फिर ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं तो द्विपक्षीय संबंध बेहतर होने की उम्मीद है. इसकी बानगी ट्रंप के बतौर राष्ट्रपति पहले कार्यकाल में देखी जा चुकी है. पीएम मोदी साल 2019 में अमेरिका गए थे और वहां 22 सितंबर अमेरिका के टेक्सास के ह्यूस्टन में एनआरजी स्टेडियम में हाउडी मोदी कार्यक्रम में संबोधित किया था. इस दौरान ट्रंप और पीएम मोदी की दोस्ती पूरी दुनिया ने देखी थी.


इसके बाद अगले ही साल यानी साल 2020 में 24 फरवरी को ट्रंप ने भारत का दौरा किया तो यहां 'नमस्ते ट्रंप' का आयोजन अहमदाबाद में किया गया था. ट्रंप लगातार पीएम मोदी को अपना दोस्त कहते रहते हैं और कई मौकों पर उनकी जमकर तारीफ करते हैं. ऐसे में अगर ट्रंप एक बार फिर राष्ट्रपति बनते हैं तो अमेरिका के साथ भारत का द्विपक्षीय संबंध बेहतर होगा.


पड़ोसी देशों के खिलाफ ट्रंप भारत के देंगे साथ


भारत अपने पड़ोसी खासकर पाकिस्तान और चीन से हमेशा परेशान रहता है. हालांकि चीन के साथ BRICS में रिश्ते सुधरते दिखे. पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात हुई लेकिन ड्रैगन पर इतनी जल्दी विश्वास करना मुश्किल है. ऐसे में अगर ट्रंप की सरकार बनती है तो भारत को फायदा होगा. ट्रंप चीन को लेकर पहले कार्यकाल में भी सख्त थे. ऐसे में उनका ये नजरिया भारत को फायदा पहुंचाएगा. चीन के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए ट्रंप भारत के साथ रक्षा और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ा सकते हैं.


इतना ही नहीं ट्रंप का आतंकवाद पर वही स्टैंड है जो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी का है. इस लिहाज से पाकिस्तान के खिलाफ भी दोनों साथ आ सकते हैं. इससे भारत को सुरक्षा के लिहाज से भी फायदा होगा.


कच्चे तेल की कीमत हो सकती है कम


इस वक्त मध्यपूर्वी देशों में युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत अस्थिर बनी हुई है. ऐसे में ट्रंप के आने से एक बड़ा फायदा ये हो सकता है कि अगर वो अमेरिका को पेरिस समझौते से बाहर कर देते हैं तो इससे ऊर्जा कंपनियों को फायदा होगा. वो अपने हिसाब से दाम तय कर तेल बेच सकेंगी और इससे भारत को भी फायदा होगा.


कश्मीर में भारत के स्टैंड को मिलेगी मजबूती


जहां पाकिस्तान कश्मीर को लेकर मध्यस्थता की बात करता है तो वहीं भारत दो टूक जवाब देता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और किसी दूसरे देश का हस्तक्षेप इस मामले में भारत बर्दाश्त नहीं करेगा. ट्रंप इस सोच का समर्थन करते हैं. वो दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के पक्षधर नहीं हैं.


नुकसान क्या होगा


ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही जो सबसे बड़ा नुकसान हो सकता है वो अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को लेकर होगा. ट्रंप की सरकार में वीजा नियम और भी सख्त हो सकते हैं और इससे अमेरिका आने वाले लोगों और पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्रों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. ट्रंप कई मौकों पर  'मेरिट-बेस्ड इमिग्रेशन' पर जोर देते हैं. इसका साफ मतलब है कि जो हुनरमंद होगा उसे अमेरिका में वीजा मिलेगा.


इससे पहले भी जब ट्रंप का पहला कार्यकाल था तो उन्होंने H-1B वीजा प्रोग्राम को सीमित करने की कोशिश की थी. कहा ये भी जा रहा है कि वो इस बार L-1 वीजा (एक कंपनी से दूसरी कंपनी में ट्रांसफर) को लेकर भी नियम सख्त करने वाले हैं. इतना ही नहीं ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT)OPT प्रोग्राम, जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ग्रेजुएशन के बाद तीन साल तक अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है, में भी कटौती देखने को मिल सकती है. 


उनकी अमेरिका फर्स्ट का प्लान दूसरे देशों से अमेरिका जाकर काम करने और पढ़ने वालों के लिए नुकसानदायक हो सकता है.