US Election: बाइडेन की कैलिफॉर्निया जीत में भारतीय मूल के कारोबारियों ने निभाया अहम रोल, जानिए कैसे
भारतीय मूल के लोगों ने कैलिफॉर्निया में बाइडेन की जीत में बड़ी-बड़ी डोनेशन देकर रोल निभाया है.अमेरिका में अब भारतीय मूल के नागरिक राजनीति में अपना रसूख बढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक 150% की रफ्तार से बढ़ रहे हैं.
US Elections: अमेरिका में गोल्डन स्टेट कहे जाने वाले कैलिफॉर्निया में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन को भारी जीत मिली है. 264 इलेक्टोरल वोट लेकर आगे चल रहे बाइडेन को अकेले कैलिफॉर्निया से 55 इलेक्टोरल वोट मिले हैं. जिसने ट्रंप और उनके बीच के फासले को बढ़ाने में अहम रोल निभाया है. बाइडेन की इस जीत में भारतीय मूल के बड़े और अमीर कारोबारियों का भी बहुत बड़ा हाथ है.
भारतीय मूल के कारोबारियों ने बाइडेन को दी बड़ी डोनेशन
भारतीय मूल के कारोबारी रचपाल सिंह के पास राउड टेबल पिज्जा की फ्रेंचाइजी है. वहीं, सतवंत सिंह ग्रेवाल रियल स्टेट बिजनेसमैन हैं. ऐसे ही न जाने कितने भारतीय मूल के लोगों ने कैलिफॉर्निया में बाइडेन की जीत में बड़ी-बड़ी डोनेशन देकर रोल निभाया है. अजय भूतोडिया जैसे भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक तो बाइडेन की टीम के सदस्य हैं. जिन्होंने दिन रात डैमोक्रेटिक पार्टी उम्मीदवार को जिताने के लिए प्रचार किया है.
फ्लोरिडा, पेंसिलवेनिया और मिशिगन में पांच लाख भारतीय मूल के वोटर
कैलिफॉर्निया की तरह भारतीय मूल के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बैटल ग्राउंड कहे जाने वाले राज्यों फ्लोरिडा, जॉर्जिया, मिशिगन, नॉर्थ कैरोलाइना, पेंसिलवेनिया और टेक्सस में भी निर्णायक रोल निभा रहे हैं. फ्लोरिडा, पेंसिलवेनिया और मिशिगन में ही पांच लाख भारतीय मूल के वोटर हैं. अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों को गंभीर वोटर माना जाता है, जिनके लिए अमेरिकी नागरिक के तौर पर वोट डालना गर्व और जिम्मेदारी का एहसास करवाती है. इसीलिए वोटिंग में भारतीय मूल के लोग हमेशा आगे रहते हैं जो आमतौर पर रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक माने जाते हैं.
राजनीति में अपना रसूख बढ़ाना चाहते हैं भारतीय मूल के लोग
लेकिन अमेरिका में अब भारतीय मूल के नागरिक राजनीति में अपना रसूख बढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक 150% की रफ्तार से बढ़ रहे हैं. भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक प्रति व्यक्ति आय के मामले में सबसे आगे हैं. मतलब सबसे अमीर वोटर हैं. भारतीय मूल का अमेरिकी तबका सबसे पढ़ा लिखा समुदाय है, जिसने यहूदियों को भी पीछे छोड़ दिया है.
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