Analysis: ट्रंप या बाइडेन! किसके राष्ट्रपति बनने से भारत और अमेरिका के संबंधों पर क्या असर पड़ेगा?
सवाल उठता है कि अगर जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं तो क्या भारत अमेरिका के रिश्ते बदल जाएंगे? और चीन, पाकिस्तान, कश्मीर पर क्या राय रहेगी ? यकीनन ये वो सवाल हैं जिनका जवाब इस वक्त भारत सरकार भी तलाश रही होगी.
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अमेरिका की पल-पल की हलचल पर भारत की निगाहें टिकी हुई हैं. इंतजार इस बात का है कि अगर जो-बाइडेन ट्रंप को व्हाइट हाउस से बेदखल कर देते हैं तो उनकी इस जीत से भारत पर क्या असर पड़ेगा. सवाल उठता है कि अगर जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं तो क्या भारत अमेरिका के रिश्ते बदल जाएंगे? और चीन, पाकिस्तान, कश्मीर पर क्या राय रहेगी ? यकीनन ये वो सवाल हैं जिनका जवाब इस वक्त भारत सरकार भी तलाश रही होगी. क्योंकि इसी पर भारत अमेरिका के रिश्तों के आगे के रास्ते तय होंगे.
पाकिस्तान पर बाइडेन का कैसा रह सकता है रुख ?
डेमोक्रेटिक नीतियों के मुताबिक जो बाइडेन पाकिस्तान पर उतना सख्त रुख नहीं रखते हैं. हालांकि इससे पहले जब डेमोक्रेटिक के बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे तब भी पीएम मोदी से उनकी काफी अच्छी दोस्ती थी. लेकिन 8 साल अमेरिका का राष्ट्रपति रहने के बावजूद ओबामा ने पाकिस्तान पर आर्थिक पाबंदियों का शिकंजा नहीं कसा. लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि आतंकवाद के मुद्दे पर वो डेमोक्रेट्स ओबामा ही थे जिन्होंने पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को ढेर किया था. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि अगर जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं तो उनका पाकिस्तान को लेकर अब किस प्रकार का रवैया रहेगा.
मोदी सरकार की कई नीतियों के साथ नहीं बाइडेन
जो बाइडेन मोदी सरकार की कई नीतियों पर सवाल उठा चुके हैं. सीएए और एनआरसी को लेकर भी बाइडेन उंगली उठा चुके हैं. वहीं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चर्चा में रहने वाले भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर के मुद्दे को लेकर भी बाइडेन के रवैये को भारत के लिए बहुत उत्साहवर्धक नहीं कहा जा सकता है. इतना ही नहीं बाइडेन अनुच्छेद 370 खत्म करने को लेकर भी सवाल उठा चुके हैं. हालांकि कश्मीर पर मध्यस्थता की बात पर पीएम मोदी ने ट्रंप को भी साफ शब्दों में कह दिया था - ये आंतरिक मामला है.
कारोबार को लेकर बाइडेन की भारत नीति
जहां तक कारोबार की बात है तो डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन की नीति अमेरिका फर्स्ट की है. ऐसे में बाइडेन की नीतियों से भारत को फायदा कम ही होता नजर आ रहा है. हालांकि बाइडेन अपने बयान में अमेरिका और भारत के मिडिल क्लास को उठाने के लिए कारोबार पर जोर देने की बात कह चुके हैं. वहीं बता दें कि ट्रंप के एच-1 बी वीजा रद्द करने के फैसले का भी बाइडेन ने विरोध किया था. एच-1 बी वीजा रद्द होने से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को नुकसान हुआ है.
चीन के मुद्दे पर भारत के साथ बाइडेन
ट्रंप की तरह बाइडेन भी चीन के विरोध में हैं. सीमा पर आक्रामकता का विरोध करने वाले बाइडेन चीन के मामले को रणनीतिक तौर पर सुलझाने की वकालत करते रहे हैं. इस मामले में बाइडेन समय-समय पर भारत के समर्थन में बयान देते रहे हैं. हाल ही में जब ट्रंप ने भारत को गंदा कहा था तो बाइडेन ने ट्रंप को आड़े हाथों ले लिया था. बाइडेन ने कहा था कि, “ हम भारत से अपनी दोस्ती की कद्र करते हैं. आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ है. हम भारत के साथ मिलकर क्षेत्र में शांति स्थापित करना चाहते हैं जहां चीन या किसी और से अपने पड़ोसी को खतरा ना हो.”
भारत के लिए कैसा रहेगा बाइडेन का राष्ट्रपति बनना यहां ये बताना जरूरी है कि जिस पार्टी से बाइडेन आते हैं उसी पार्टी यानी डेमोक्रेट के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौर में ही 1998 में भारत पर पाबंदिया लगाई गयी थीं. उस दौरान भारत में एनडीए सरकार थी यह पाबंदी वाजपेयी सरकार का परमाणु परीक्षण का फैसला लेने की वजह से लगाई गई थी.ऐसे में बाइडेन के राष्ट्रपति बनने पर भारत के लिए कई मुद्दों पर उतार-चढ़ाव नजर आता है. कई मामलों में बाइडेन से भारत को लाभ मिलेगा तो कई मामलों पर बाइडेन की नीतियां भारत के लिए फायदेमंद साबित नहीं होगी
क्या कहना है एक्सपर्ट का
वहीं विदेश मामलों के जानकार संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि, “राष्ट्रपति ट्रंप की नीति हमेशा अमेरिका फर्स्ट की रही है. ट्रंप अमेरिका के हितों को सुनिश्चित करने में ज्यादा रहे हैं.उन्हे राजनीति का भी ज्यादा अनुभव नहीं रहा. वे पहली बार राजनीति में आए और राष्ट्रपति बने. अगर बाइडेन राष्ट्रपति बनते हैं तो भारत और अमेरिका के संबंधों में गतिशीलता आ सकती है. भारत और अमेरिका के संबंध साझा मूल्यों पर, साझा चुनौतियों पर आधारित हैं. ये दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के संबंध हैं और ये बाइडेन भी समझते हैं”.
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